The Seven Immortals (Chiranjeevis) in Hindu mythology

The Seven Immortals

Seven Immortals (Chiranjeevis) और उनकी रहस्यमयी कहानियाँ – आज वे कहाँ हैं?

हिंदू धर्म में कुछ महान आत्माओं को अमरता (Immortals) का वरदान प्राप्त है। ये ऐसे 7 अमर व्यक्ति (Seven Immortals or Chiranjeevis)

हैं जो आज भी जीवित हैं – धरती पर या रहस्यमयी स्थानों पर। इनकी कहानियाँ रहस्य, भक्ति और साहस से भरी हैं। इस ब्लॉग में जानिए कि ये 7 अमर लोग कौन हैं, इनकी अमरता का कारण क्या है, और आज वे कहाँ रह रहे हैं।

1. अश्वत्थामा – शापित अमरता का जीवंत उदाहरण

अश्वत्थामा महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ने वाले महान योद्धा और गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। वे शिव जी के अंशावतार माने जाते हैं और बचपन से ही अत्यंत पराक्रमी, बुद्धिमान और ब्रह्मास्त्र विद्या में निपुण थे।

 महाभारत के बाद क्या हुआ?

जब गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई, तो अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए पांडवों के शिविर में रात को हमला किया और उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के पुत्र पर ब्रह्मास्त्र चला दिया। इससे नाराज़ होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें भयानक श्राप दिया:

“तू वर्षों तक इस पृथ्वी पर जिंदा रहेगा – बिना किसी मान-सम्मान, सड़े हुए शरीर और असहनीय पीड़ा के साथ।”

आज कहाँ हैं अश्वत्थामा?

ashwathama

कई लोक कथाओं और ग्रामीण कहानियों में दावा किया गया है कि अश्वत्थामा आज भी मध्य प्रदेश, उज्जैन, नर्मदा घाटी और सतपुड़ा के जंगलों में देखे गए हैं। कुछ लोग कहते हैं कि उनके माथे पर अब भी एक रिसता हुआ घाव है, जो कभी नहीं भरता।

अश्वत्थामा एकमात्र व्यक्ति माने जाते हैं जिनके पास आज भी ब्रह्मास्त्र की शक्ति है – परंतु उसे नियंत्रित करने की विधि वे खो चुके हैं।

2. हनुमान जी – राम भक्त और चिरंजीवी वीर

हनुमान जी, पवनपुत्र और भगवान शिव के अंशावतार माने जाते हैं। वे श्रीराम के सबसे बड़े भक्त, परम योद्धा और बुद्धि-बल-शक्ति के प्रतीक हैं। रामायण में उनका योगदान अकल्पनीय है – लंका दहन, संजीवनी बूटी लाना, और रावण का विनाश।

अमरता कैसे मिली?

श्रीराम ने उन्हें वरदान दिया कि जब तक संसार में राम नाम रहेगा, तब तक हनुमान जी जीवित रहेंगे। यही कारण है कि उन्हें ‘चिरंजीवी’ कहा गया।

आज कहाँ हैं?

hanuman ji

मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी आज भी इस पृथ्वी पर हैं। कई साधु-संतों और भक्तों ने दावा किया है कि उन्हें हिमालय, वेंकटाचल, या झारखंड के जंगलों में दर्शन हुए।

3. राजा बलि – दानवीर असुर, पाताल लोक के सम्राट

राजा बलि एक दानवीर असुर थे जो विष्णु भक्त थे। उन्होंने पूरे त्रिलोक पर अधिकार कर लिया था। जब देवता परेशान हुए, तो विष्णु ने वामन अवतार लिया और तीन पग भूमि मांगकर उन्हें पाताल लोक भेजा।

अमरता कैसे मिली?

राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें अमरता दी और वचन दिया कि वे हर साल ओणम पर्व पर धरती पर आ सकेंगे।

आज कहाँ हैं?

raja bali

राजा बलि पाताल लोक में रहते हैं, जहाँ वे न्यायप्रिय सम्राट के रूप में पूजे जाते हैं। वे अब भी विष्णु जी के साथ हैं।

4. वेदव्यास – ज्ञान के अमर स्रोत

वेदव्यास ऋषि को महाभारत का रचयिता और 18 पुराणों का संकलनकर्ता माना जाता है।

उन्होंने वेदों को चार भागों में बाँटा और ज्ञान का प्रचार किया।

अमरता कैसे मिली?

vedvyas

भगवान ने उन्हें आदेश दिया कि जब तक सनातन धर्म की रक्षा की आवश्यकता होगी,

तब तक वे जीवित रहेंगे और मार्गदर्शन करते रहेंगे।

 आज कहाँ हैं?

कहा जाता है कि वेदव्यास आज भी बद्रीनाथ के पास किसी गुफा में तपस्या कर रहे हैं।

5. परशुराम – विष्णु के अमर योद्धा

परशुराम जी विष्णु के छठे अवतार हैं, जिन्होंने 21 बार पृथ्वी से अन्यायी क्षत्रियों का नाश किया। वे शिव से शस्त्र विद्या के महान गुरु थे।

अमरता कैसे मिली?

भगवान विष्णु के रूप में जन्म लेने के कारण परशुराम जी को अमरता प्राप्त हुई।

साथ ही, वे अंतिम विष्णु अवतार कल्कि के गुरु भी होंगे।

 आज कहाँ हैं?

Parshuram

कहा जाता है कि वे आज भी ओडिशा के महेंद्रगिरी पर्वत पर तपस्या में लीन हैं।

  6. कृपाचार्य – अमर गुरु और आचार्य

कृपाचार्य महाभारत काल के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जो युद्ध में मारे नहीं गए।

वे कौरवों और बाद में पांडवों के बच्चों के भी शिक्षक रहे।

अमरता कैसे मिली?

कृपाचार्य की तपस्या, निष्पक्षता और शिक्षा से जुड़ाव को देखते हुए देवताओं ने उन्हें अमरत्व प्रदान किया।

 कृपाचार्य आज कहाँ हैं?

kripacharya

मान्यता है कि कृपाचार्य आज भी हिमालय में एक आश्रम में रहकर धर्म और ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं।

7. विभीषण – धर्म के रक्षक और लंका के अमर राजा

विभीषण रावण के भाई थे, लेकिन जब उन्होंने अधर्म का विरोध किया तो श्रीराम की शरण में आ गए।

उन्होंने लंका का राज्य धर्मपूर्वक चलाया।

अमरता कैसे मिली?

रामजी ने उन्हें अमरता दी और कहा कि जब तक धर्म रहेगा, विभीषण लंका पर शासन करेंगे।

आज कहाँ हैं?

vibhisan

कुछ परंपराओं के अनुसार, विभीषण आज भी श्रीलंका में अदृश्य रूप में धर्म की रक्षा कर रहे हैं।

(FAQs): सप्त चिरंजीवी – Hinduism ke Amar Purush

सप्त चिरंजीवी किसे कहा जाता है और ये कौन-कौन हैं?

उत्तर:“सप्त चिरंजीवी” (Seven Immortals) हिंदू धर्म में उन सात व्यक्तियों को कहा गया है जिन्हें काल से परे अमरता प्राप्त है। ये वो दिव्य आत्माएं हैं जिन्हें अपने-अपने कर्मों, तप और धर्म की रक्षा के कारण जीवनभर पृथ्वी पर रहने का वरदान मिला। ये हैं:

  1. अश्वत्थामा – गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने श्राप दिया कि वे युगों तक घायल अवस्था में पृथ्वी पर भटकते रहेंगे।
  2. राजा बलि – एक दानव राजा जिनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया और वचन दिया कि वे हर वर्ष ओणम पर्व पर धरती पर आ सकते हैं।
  3. वेदव्यास – महाभारत के रचयिता और वेदों के संकलक। उन्हें त्रिकालदर्शी माना जाता है।
  4. हनुमान – श्रीराम के परम भक्त और अष्टसिद्धि नव निधियों के धारक। रामकथा जहां भी होती है, वहाँ हनुमान उपस्थित माने जाते हैं।
  5. विभीषण – रावण के भाई, जिन्होंने धर्म का साथ देते हुए श्रीराम का समर्थन किया और लंका के धर्मराज बने।
  6. परशुराम – भगवान विष्णु के छठे अवतार, जिन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त किया और अब तपस्या में लीन हैं।
  7. कृपाचार्य – महाभारत काल के गुरु और एकमात्र ऐसे योद्धा जो युद्ध के बाद भी जीवित रहे और आज भी तप में लीन हैं।

इनकी अमरता का धार्मिक महत्व क्या है?

उत्तर:इनकी अमरता केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक है। ये सातों विभूतियाँ अलग-अलग गुणों का प्रतिनिधित्व करती हैं:

  • ज्ञान: वेदव्यास, कृपाचार्य
  • भक्ति: हनुमान
  • धर्मपरायणता: विभीषण
  • बल और युद्ध कौशल: अश्वत्थामा, परशुराम
  • दानशीलता और विनम्रता: राजा बलि

इनका अस्तित्व इस बात की याद दिलाता है कि धर्म और सत्कर्म अमर हैं।

क्या ये आज भी धरती पर मौजूद हैं?

उत्तर:धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हां। लेकिन ये दृश्य रूप में नहीं, बल्कि गुप्त या सूक्ष्म रूप में इस धरती पर उपस्थित हैं:

  • अश्वत्थामा – मध्यप्रदेश के कुछ जंगलों में देखे जाने के दावे होते हैं।
  • परशुराम – हिमालय या महेंद्रगिरी पर्वत पर तप में लीन माने जाते हैं।
  • हनुमान – हर उस स्थान पर माने जाते हैं जहां राम का नाम लिया जाता है।
  • राजा बलि – ओणम के दिन केरल में पृथ्वी पर आगमन की मान्यता है।
  • वेदव्यास – हिमालय में तप करते हुए माने जाते हैं।
  • विभीषण – लंका में न्यायपूर्वक राज्य करते हुए आज भी माने जाते हैं।
  • कृपाचार्य – शांति और तप में लीन हैं।

क्या कोई श्लोक या मंत्र है जिससे इनका स्मरण किया जाता है?

उत्तर:हां, एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक है जिसे सप्त चिरंजीवी स्तोत्र कहा जाता है:

“अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमान् च विभीषणः ।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः ॥”

इसका जाप दीर्घायु, मानसिक शांति और संकटों से रक्षा के लिए किया जाता है।

क्या इन सातों के जीवन से कुछ प्रेरणा मिलती है?

उत्तर:बिलकुल! सप्त चिरंजीवी न केवल पौराणिक पात्र हैं बल्कि जीवन मूल्यों के प्रतीक भी हैं:

  • हनुमान से भक्ति और सेवा की भावना
  • वेदव्यास से ज्ञान और लेखन की शक्ति
  • परशुराम से अन्याय के विरुद्ध खड़ा होने की प्रेरणा
  • विभीषण से सही के पक्ष में खड़े होने का साहस
  • राजा बलि से दानशीलता और विनम्रता
  • अश्वत्थामा से यह सीख कि क्रोध और अधर्म का अंत पीड़ा में होता है
  • कृपाचार्य से संयम और शिक्षक धर्म की महिमा

क्या इन पर आधारित कोई ग्रंथ, उपन्यास या फिल्में हैं?

उत्तर:

  • महाभारत और रामायण में इन पात्रों का विस्तृत वर्णन है।
  • आधुनिक साहित्य में अमिश त्रिपाठी की “रामचंद्र श्रृंखला” और “इमोर्टल्स ऑफ मेलुहा” जैसे उपन्यास इनसे प्रेरित हैं।
  • कई भारतीय टीवी शोज़ और फिल्मों में इन पात्रों को दर्शाया गया है, विशेष रूप से हनुमान और परशुराम को।

क्या सप्त चिरंजीवी केवल हिंदू मान्यता तक सीमित हैं?

उत्तर: हां, यह विशेष रूप से हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता है। हालांकि इनके जीवन और गुणों से प्रेरणा लेना वैश्विक स्तर पर भी उपयोगी हो सकता है क्योंकि ये मूल रूप से नैतिकता, सत्य, बल, भक्ति, और ज्ञान के प्रतीक हैं।

और ऐसे  ब्लॉग पढ़ने के लिए हमें Subscribe करें।

📸 Instagram पर जुड़ें: Duniyadarpan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी दिवस: हिंदी भाषा का महत्व और इतिहास हरियाली तीज 2025 में रविवार, 27 जुलाई को मनाई जाएगी स्वामी प्रेमानंद जी महाराज स्टार्टअप इंडिया योजना क्या है? सावन 2025