जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: आस्था, परंपरा और भक्ति से जुड़ा उड़ीसा का भव्य त्योहार

जगन्नाथ रथ यात्रा

भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित पुरी शहर हर साल आस्था, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम बन जाता है जब यहां भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथ यात्रा का आयोजन होता है। यह न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में सबसे विशाल धार्मिक आयोजनों में से एक है। लाखों श्रद्धालु इस दिव्य यात्रा के साक्षी बनने के लिए पुरी पहुंचते हैं। वर्ष 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा 26 जून से 27 जून तक आयोजित की जाएगी, जो एक ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बाँधना आसान नहीं।

जगन्नाथ रथ यात्रा की पौराणिक कथा

भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को विशाल रथों में सवार कर मुख्य मंदिर से बाहर लाया जाता है और उन्हें शहर के मध्य स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह दूरी लगभग 3 किलोमीटर की होती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार यह यात्रा उस समय की याद दिलाती है जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से वृंदावन लौटे थे। वहीं एक और कथा के अनुसार रानी गुंडिचा, जो राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी थीं और जिन्होंने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था, चाहती थीं कि भगवान हर वर्ष उनके आवास (गुंडिचा मंदिर) पधारें। उसी भावना के चलते यह यात्रा शुरू हुई।

ऐतिहासिक महत्व

इतिहासकारों के अनुसार रथ यात्रा की परंपरा 12वीं शताब्दी से चली आ रही है, जब पूर्वी गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोड़गंग देव ने वर्तमान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। तभी से रथ यात्रा को धार्मिक उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।

रथ यात्रा का भव्य आयोजन

पुरी की सड़कों पर जब तीन भव्य रथ निकलते हैं तो पूरा शहर भगवान के नाम से गूंज उठता है। हर रथ लकड़ी से साल दर साल नया बनाया जाता है, जिसमें विशेष प्रकार की लकड़ी और पारंपरिक डिज़ाइन का उपयोग किया जाता है।

भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ कहलाता है और इसमें 16 पहिए होते हैं।

बलभद्र के रथ का नाम ‘तलध्वज’ होता है, जिसमें 14 पहिए होते हैं।

सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ कहलाता है और उसमें 12 पहिए होते हैं।

इन रथों को हजारों श्रद्धालु मिलकर रस्सियों से खींचते हैं, जिसे एक महान पुण्य कार्य माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इन रथों को खींचता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गुंडिचा मंदिर में विश्राम और बहुदा यात्रा

गुंडिचा मंदिर में भगवान, बलभद्र और सुभद्रा एक सप्ताह तक विश्राम करते हैं। इस अवधि को ‘रत्न सिंहासन त्याग’ कहते हैं। इसके बाद उनकी वापसी यात्रा को ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है, जो उतनी ही भव्य और भावनाओं से भरपूर होती है जितनी रथ यात्रा।

यह यात्रा कहां-कहां मनाई जाती है?और कितने दिन चलता है यह त्योहार?

पुरी की रथ यात्रा सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन है, लेकिन भारत के कई अन्य हिस्सों में भी यह पर्व श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूयॉर्क, लंदन और सिंगापुर जैसे शहरों में भी भारतीय समुदाय इसे धूमधाम से मनाता है। लेकिन पुरी की रथ यात्रा को देखने का जो अनुभव है, वह निराला और अविस्मरणीय है।

यह त्योहार मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है। पहले दिन रथ यात्रा निकलती है, फिर 7 दिन भगवान गुंडिचा मंदिर में विश्राम करते हैं और फिर 10वें दिन बहुदा यात्रा के द्वारा वे वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। इस दौरान कई सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम होते हैं, जिसमें स्थानीय और विदेशी श्रद्धालु भाग लेते हैं।

क्यों है यह यात्रा विशेष?

यह अकेला ऐसा अवसर होता है जब भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच आते हैं, क्योंकि बाकी समय वे मंदिर के गर्भगृह में होते हैं।

इसे सभी जाति, वर्ग, और धर्म के लोग देख सकते हैं – यही इसकी समावेशिता और लोकतांत्रिक आस्था की मिसाल है।

यह यात्रा हमें भारतीय संस्कृति की जीवंतता, उसकी आध्यात्मिक गहराई और लोक परंपराओं की सुंदरता से परिचित कराती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह एक जीवंत परंपरा है, जो सदियों से लोगों को जोड़ती आ रही है। यह पर्व एकता, आस्था और परंपरा का प्रतीक है। 2025 की रथ यात्रा के साथ एक बार फिर पूरा विश्व पुरी की ओर नज़रें गड़ाए होगा, जब जगन्नाथ जी अपने रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे।

अगर आप आध्यात्मिक यात्रा पर निकलना चाहते हैं, या फिर भारतीय संस्कृति की भव्यता को महसूस करना चाहते हैं, तो पुरी की रथ यात्रा 2025 आपके लिए एक सुनहरा अवसर है।

अगर आप इस यात्रा में भाग लेने की योजना बना रहे हैं, तो अभी से अपने कार्यक्रम बनाएं क्योंकि रथ यात्रा के दौरान पुरी में भारी भीड़ उमड़ती है। 26 जून 2025 से 27 जून 2025, यह वो तारीखें हैं जब पुरी में स्वर्ग उतर आता है

इस यात्रा का अनुभव जीवन भर आपकी स्मृतियों में बसा रहेगा।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 से जुड़े Frequently Asked Questions (FAQs)

1.जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 कब शुरू होगी?

वर्ष 2025 में पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा 26 जून से शुरू होकर 27 जून तक चलेगी। यह शुभ दिन आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपनी रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।

2.जगन्नाथ रथ यात्रा कितने दिनों तक चलती है?

रथ यात्रा कुल 10 दिनों तक चलती है। पहले दिन रथ यात्रा होती है, फिर भगवान गुंडिचा मंदिर में 7 दिन ठहरते हैं

और 10वें दिन ‘बहुदा यात्रा’ यानी वापसी यात्रा होती है।

इसके बाद ‘सुनाभेस’ और ‘नीलाद्री विजया’ जैसे अनुष्ठान होते हैं।

3.रथ यात्रा किस देवता की होती है?

 यह यात्रा भगवान जगन्नाथ (जो भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के स्वरूप हैं), उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की होती है।

तीनों देवता एक भव्य रथ पर सवार होकर भक्तों के बीच आते हैं।

4.पुरी की रथ यात्रा का क्या महत्व है?

यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए साल की सबसे बड़ी घटना होती है।

माना जाता है कि इस दिन भगवान स्वयं मंदिर से बाहर आते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

इस अनूठी परंपरा में हर कोई भगवान के रथ को खींच सकता है,

चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो।

5.रथ यात्रा में कौन-कौन से रथ होते हैं?

भगवान जगन्नाथ का रथ – नंदिघोष (16 पहिए)

बलभद्र का रथ – तालध्वज (14 पहिए)

सुभद्रा का रथ – दर्पदलन (12 पहिए)

हर रथ की ऊँचाई और सजावट पारंपरिक रूप से विशेष होती है

और इन्हें हर साल नए सिरे से बनाया जाता है।

6.क्या रथ यात्रा के दौरान आम लोग रथ खींच सकते हैं?

हाँ, यह इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता है।

दुनिया भर से आए भक्त अपने हाथों से भगवान के रथ को खींचते हैं।

यह एक आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है

और माना जाता है कि रथ खींचने से पापों का नाश होता है।

7.पुरी की रथ यात्रा को कहाँ-कहाँ मनाया जाता है?

भले ही पुरी की रथ यात्रा सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन भारत के विभिन्न शहरों जैसे अहमदाबाद, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और हैदराबाद में भी जगन्नाथ रथ यात्रा बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है।

विदेशों में जैसे लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो आदि में भी ISKCON द्वारा रथ यात्राएँ आयोजित की जाती हैं।

8.जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान कौन से महत्वपूर्ण अनुष्ठान होते हैं?

पांडु विजय: रथ पर भगवान को विराजमान करने से पहले का समारोह

छेरा पहरा: पुरी के राजा द्वारा रथ की सफाई करना

बहुदा यात्रा: भगवान का वापस लौटना

सुनाभेस: भगवान का राजसी वेश

नीलाद्री विजया: भगवान का फिर से श्रीमंदिर लौटना

9.क्या रथ यात्रा के दौरान पुरी जाना सुरक्षित होता है?

हाँ, लेकिन बहुत बड़ी भीड़ होती है, इसलिए प्रशासन विशेष प्रबंध करता है।

यदि आप दर्शन की योजना बना रहे हैं तो जल्दी होटल बुकिंग, उचित गाइड, भीड़ से सावधानी,

और स्थानीय निर्देशों का पालन करना ज़रूरी है।

10.क्या रथ यात्रा का सीधा प्रसारण होता है?

हाँ, कई टीवी चैनल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे YouTube और ISKCON की वेबसाइट पर रथ यात्रा का सीधा प्रसारण (Live Telecast) किया जाता है।

जो लोग पुरी नहीं जा सकते, वे घर बैठे ही भगवान के दर्शन कर सकते हैं।

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