शतरंज की उत्पत्ति और इतिहास
शतरंज, जिसे आज हम जानते हैं, उसकी जड़ें भारत की धरती में 6वीं शताब्दी ईस्वी से भी पहले तक फैली हुई हैं। इसका प्रारंभिक रूप ‘चतुरंग’ (Chaturanga) था, जो गुप्त वंश के समय में प्रचलित एक युद्ध-आधारित बोर्ड खेल था। ‘चतुरंग’ में चार सेनाएं होती थीं – हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल – जो आज के शतरंज में क्रमशः बिशप, नाइट, रूक और पॉन के रूप में विकसित हुईं।
चतुरंग से यह खेल फारस (अब ईरान) पहुँचा, जहाँ इसे शतरंज कहा जाने लगा – यहीं से अंग्रेज़ी नाम “Chess” आया। इसके बाद यह खेल इस्लामी साम्राज्य के ज़रिए अरब देशों, फिर स्पेन और यूरोप पहुँचा। 15वीं शताब्दी तक यह यूरोप में काफी लोकप्रिय हो गया, और इसके नियम आधुनिक रूप में ढलने लगे।
भारत में शतरंज की वर्तमान स्थिति
भारत, जो शतरंज का जन्मस्थान है, आज फिर इस खेल में विश्व पटल पर छा रहा है। एक समय था जब शतरंज को केवल कुछ बुद्धिजीवी वर्ग या बुज़ुर्गों का खेल माना जाता था, लेकिन अब यह युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
All India Chess Federation (AICF) के अनुसार, भारत में पंजीकृत ग्रैंडमास्टर्स (Grandmasters) की संख्या अब 84 से अधिक हो चुकी है, और हर साल दर्जनों इंटरनेशनल मास्टर्स और नए खिलाड़ी उभर रहे हैं।
शतरंज खेलने के फायदे
शतरंज सिर्फ एक खेल नहीं है, यह मानसिक व्यायाम है। इसके कई फायदे हैं:
- एकाग्रता में वृद्धि
- समस्या-समाधान की क्षमता बढ़ाना
- रणनीति और पूर्वानुमान कौशल
- स्मरण शक्ति में सुधार
- धैर्य और आत्मनियंत्रण विकसित करना
इस कारण स्कूलों में भी शतरंज को शामिल किया जा रहा है ताकि बच्चों का बौद्धिक विकास हो।
भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ
विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand): भारतीय शतरंज का शेर
- भारत के पहले ग्रैंडमास्टर (1988)
- पाँच बार के विश्व शतरंज चैंपियन (2000, 2007, 2008, 2010, 2012)
- 2007 से 2013 तक विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी रहे
- पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित
उनकी उपलब्धियों ने भारत में शतरंज को एक नया जीवन दिया और हजारों युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
वर्तमान में उभरते भारतीय शतरंज सितारे
पुरुष खिलाड़ी
प्रज्ञानानंद – हाल ही में विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन को हराकर चर्चा में आए।
अरिजुन एरिगैसी, विदित गुजराती, निहाल सरीन – ये युवा ग्रैंडमास्टर्स भारत के भविष्य हैं।
महिला खिलाड़ी
कोनेरू हम्पी – विश्व की टॉप महिला खिलाड़ियों में शुमार, भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर।
हरिका द्रोणावली – महिला ग्रैंडमास्टर, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व।
वैषाली प्रज्ञानानंद – प्रज्ञानानंद की बहन, हाल ही में महिला ग्रैंडमास्टर बनीं।
हाल की बड़ी उपलब्धियाँ (2024–25)
- 2024 FIDE Chess Olympiad में भारतीय टीम ने गोल्ड मेडल जीता।
- प्रज्ञानानंद ने 2024 में वर्ल्ड कप में मैग्नस कार्लसन को हराया।
- कोनेरू हम्पी और वैषाली ने वर्ल्ड वुमेन्स टीम चैंपियनशिप में भारत को टॉप 3 में पहुँचाया।
शतरंज को कैसे बढ़ावा मिल सकता है?
- स्कूलों में शतरंज को अनिवार्य विषय के रूप में लाना।
- सरकार की ओर से खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग और छात्रवृत्ति।
- हर जिले में शतरंज अकादमियों की स्थापना।
- शतरंज लीग (जैसे IPL) का आयोजन, जिससे खिलाड़ियों को मंच मिले।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच।
भारत का वैश्विक योगदान
भारत न केवल शतरंज का जनक है बल्कि आज भी शतरंज को वैश्विक स्तर पर एक नई दिशा दे रहा है। भारतीय खिलाड़ियों की तेजी से बढ़ती संख्या, उनकी अंतरराष्ट्रीय जीत और शतरंज के प्रति जनता की बढ़ती रुचि यह दर्शाती है कि भारत इस खेलका भविष्य बनने की राह पर है।
शतरंज एक ऐसा खेल है जो केवल जीत-हार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोच, दृष्टिकोण और संयम का प्रतीक है। भारत ने इस खेल को जन्म दिया और अब एक बार फिर इसे नई ऊंचाइयों तक पहुँचा रहा है। विश्वनाथन आनंद की विरासत अब प्रज्ञानानंद, कोनेरू हम्पी और अन्य जैसे खिलाड़ियों द्वारा आगे बढ़ाई जा रही है।
शतरंज दिवस कब मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस (International Chess Day) हर साल 20 जुलाई को मनाया जाता है।
इस दिन FIDE (International Chess Federation) की स्थापना हुई थी, जिसे 20 जुलाई 1924 को पेरिस, फ्रांस में शुरू किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस दिन को मान्यता दी है और 2020 से इसे आधिकारिक रूप से “World Chess Day” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विश्वभर में शतरंज प्रतियोगिताएँ, कार्यशालाएँ और जन-जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं।
भारत में भी 20 जुलाई को कई स्कूल, कॉलेज और क्लब शतरंज टूर्नामेंट आयोजित करते हैं ताकि बच्चों और युवाओं में इस बौद्धिक खेल के प्रति रुचि बढ़ाई जा सके।
FAQs – शतरंज (Chess) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शतरंज की शुरुआत कब और कहाँ हुई थी?
शतरंज की शुरुआत 6वीं शताब्दी में भारत में हुई थी। इसका प्रारंभिक रूप ‘चतुरंग’ कहलाता था, जो बाद में फारस होते हुए पूरे विश्व में फैला।
2. अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस (International Chess Day) मनाया जाता है। इसी दिन 1924 में FIDE (विश्व शतरंज महासंघ) की स्थापना हुई थी।
3. शतरंज खेलने के क्या फायदे हैं?
शतरंज खेलने से एकाग्रता, समस्या-समाधान क्षमता, स्मरण शक्ति, रणनीति, धैर्य और मानसिक विकास में सुधार होता है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए फायदेमंद खेल है।
4. भारत का सबसे सफल शतरंज खिलाड़ी कौन है?
विश्वनाथन आनंद भारत के सबसे सफल शतरंज खिलाड़ी हैं। वे पाँच बार विश्व चैंपियन रहे हैं और भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने (1988 में)।
5. वर्तमान में भारत के उभरते हुए प्रमुख शतरंज खिलाड़ी कौन हैं?
प्रमुख युवा खिलाड़ी हैं –
- प्रज्ञानानंद,
- अरिजुन एरिगैसी,
- विदित गुजराती,
- निहाल सरीन,
- कोनेरू हम्पी (महिला)
- वैषाली प्रज्ञानानंद (महिला)
6. भारत में कितने ग्रैंडमास्टर हैं?
2025 तक भारत में 84 से अधिक ग्रैंडमास्टर हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
7. क्या शतरंज को स्कूलों में पढ़ाया जा सकता है?
हाँ, शतरंज को मानसिक विकास और एकाग्रता बढ़ाने के लिए स्कूलों में शामिल किया जा सकता है। कई राज्यों में यह पहले से ही सह-पाठ्यक्रम गतिविधि के रूप में पढ़ाया जा रहा है।
8. भारत में शतरंज को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?
- स्कूलों में शतरंज की शिक्षा
- हर जिले में शतरंज अकादमी
- सरकारी सहयोग और छात्रवृत्ति
- ऑनलाइन टूर्नामेंट्स और मोबाइल ऐप्स
- शतरंज लीग और मीडिया प्रचार के ज़रिए
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे शेयर करें और हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब करें –
साथ ही, जुड़े रहिए हमारे Social Media Handle से-