भारत का दोहरा प्रहार: ऑपरेशन सिंदूर से लेकर वैश्विक कूटनीति तक सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की घोषणा
नई दिल्ली, 17 मई – हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध एक सशक्त वैश्विक संदेश देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों समेत प्रमुख साझेदार देशों में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की घोषणा की है।
इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य भारत की यह स्पष्ट नीति प्रस्तुत करना है कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की सहिष्णुता नहीं बरती जाएगी। सभी रूपों में आतंकवाद का विरोध करने की राष्ट्रीय सहमति और एकजुट दृष्टिकोण को यह मिशन वैश्विक मंच पर सामने रखेगा।
प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वाले प्रमुख सांसद:
- शशि थरूर – कांग्रेस
- रविशंकर प्रसाद – भाजपा
- संजय कुमार झा – जदयू
- बैजयंत पांडा – भाजपा
- कनिमोझी करुणानिधि – डीएमके
- सुप्रिया सुले – एनसीपी
- श्रीकांत एकनाथ शिंदे – शिवसेना
प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य पहलुओं:
- हर प्रतिनिधिमंडल में प्रतिष्ठित राजनयिक भी होंगे।
- प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल लगभग पांच देशों का दौरा करेगा।
- प्रतिनिधिमंडल में पूर्वोत्तर भारत से भी तीन सांसद शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत के पक्ष को मजबूती से रखना है।
प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
- किरन रिजिजू (संसदीय कार्य मंत्री): “यह राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता का शक्तिशाली प्रतीक है।”
- रवि किशन (भाजपा सांसद): “पूरा भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट है, दुनिया को यह संदेश देना ज़रूरी है।”
- कनिमोझी (डीएमके सांसद): “हम देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, न कि किसी दल का।”
- अशोक मित्तल (राज्यसभा सांसद): “आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती, वैसे ही भारत के संकल्प की भी कोई सीमा नहीं है।”
अभियान की पृष्ठभूमि:
- पहलगाम हमला: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई जवान शहीद हुए।
- ऑपरेशन सिंदूर: इस आतंकी हमले के तुरंत बाद भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सीमापार किए गए जवाबी कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहा गया।
भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया है,
जो न केवल सैन्य प्रतिक्रिया है, बल्कि एक व्यापक कूटनीतिक पहल भी है। इस पहल के तहत, भारत ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विश्व के विभिन्न देशों में भेजने का निर्णय लिया है, ताकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जा सके।
ऑपरेशन सिंदूर- जब भारत ने दिखाया कि सहनशीलता की भी एक सीमा होती है
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ है। इसके जवाब में, भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक और सीमित सैन्य कार्रवाई की। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके स्थित मुख्यालय और जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में 80 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है।
इस सैन्य कार्रवाई के बाद, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सूचित किया कि यह प्रतिक्रिया गैर-उत्तेजक, मापी गई और अनुपातिक थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्यों को ब्रीफिंग दी, जिसमें उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प का प्रतीक है और इसका उद्देश्य भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना है।
भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल – सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल
भारत की इस कूटनीतिक पहल का एक महत्वपूर्ण पहलू सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन है, जो विभिन्न देशों का दौरा करेंगे। इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), बैजयंत पांडा (भाजपा), कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), सुप्रिया सुले (एनसीपी) और श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना) जैसे वरिष्ठ सांसद करेंगे। प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में कम से कम एक महिला और एक अल्पसंख्यक सांसद शामिल होंगे, जिससे भारत की विविधता और समावेशिता का संदेश भी जाएगा।
इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य विभिन्न देशों की सरकारों, मीडिया, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं से संवाद स्थापित करना है, ताकि भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति को स्पष्ट किया जा सके। इसके साथ ही, पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने और उसके प्रचार तंत्र का मुकाबला करने के लिए भी यह पहल महत्वपूर्ण है।
प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य भारत की आतंकवाद के प्रति दृढ़ नीति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है
इन राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, भारत की यह पहल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है। यह न केवल भारत की सुरक्षा नीति को स्पष्ट करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और समर्थन को भी प्रोत्साहित करता है। इससे यह संदेश जाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की सहिष्णुता नहीं बरतेगा और इसके खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस प्रकार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसके बाद की कूटनीतिक पहल भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता, राजनीतिक एकता और वैश्विक सहयोग की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह पहल न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और सहयोग को भी बढ़ावा देती है।
यह भारत की विदेश नीति की दृढ़ता और आंतरिक राजनीतिक एकता का अद्वितीय उदाहरण है।
प्रतिनिधिमंडलों का यह दौरा न केवल आतंकवाद के प्रति भारत के “ज़ीरो टॉलरेंस” दृष्टिकोण को उजागर करेगा,
बल्कि भारत की सुरक्षा प्रतिबद्धता और वैश्विक सहयोग की पहल को भी मजबूत करेगा।
और ऐसी ही और जानकारियों के लिए अपडेट रहिए। हमारे Website Duniyadarpan se