ऐतिहासिक जीत की गूंज: भारतीय महिला आइस हॉकी टीम ने रचा नया इतिहास

भारतीय महिला आइस हॉकी टीम

भारतीय महिला आइस हॉकी टीम-IIHF वुमेन्स एशिया कप 2025

लेह, लद्दाख: भारतीय महिला आइस हॉकी टीम ने पहली बार IIHF वुमेन्स एशिया कप 2025 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह टूर्नामेंट 31 मई से 6 जून तक अल-अइन, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हुआ था। यह उपलब्धि न केवल खेल के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि देशभर में आइस हॉकी जैसे दुर्लभ खेल को पहचान दिलाने में भी एक बड़ा कदम है।

टीम की विशेषता: लद्दाख की बेटियां बनीं देश की शान

इस गौरवपूर्ण 20 सदस्यीय टीम में से 19 खिलाड़ी लद्दाख से थीं और एक खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश से। यह दर्शाता है कि भारत के सुदूर और ठंडे क्षेत्रों में खेल की कितनी प्रतिभा छिपी हुई है। टीम का चयन 45 लड़कियों के बीच कड़े ट्रायल्स के माध्यम से हुआ था।

यह पदक जीत भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि 2016 में भारत ने इस टूर्नामेंट में पहली बार भाग लिया था, और आज करीब एक दशक बाद हमें इसका पहला फल मिला है।

टूर्नामेंट का प्रदर्शन: कठिन संघर्ष, गौरवशाली परिणाम

भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में कुल 5 मैच खेले, जिनमें से 3 में जीत और 2 में हार का सामना करना पड़ा। टीम ने 13 गोल किए और 16 गोल खाए, लेकिन इसके बावजूद टीम ने तीसरा स्थान हासिल कर कांस्य पदक अपने नाम किया।

प्रतिस्पर्धी देशों में ईरान, फिलीपींस, भारत, मलेशिया, यूएई और किर्गिस्तान शामिल थे। भारत ने मलेशिया, यूएई और किर्गिस्तान को हराकर यह सम्मान हासिल किया।

भारतीय महिला आइस हॉकी टीम के खिलाड़ियों की खुशी और भावनाएं

“यह पदक हमारे संघर्षों की जीत है” – रिनचेन डोलमा

पूर्व कप्तान रिनचेन डोलमा कहती हैं,

“2016 में जब हमने पहली बार टूर्नामेंट खेला था, तब इसका नाम ‘एशियन चैलेंज कप’ था। अब इसे एशिया कप कहा जाता है। यह पदक हमारी वर्षों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।”

“बर्फ पर खेलने का सपना साकार हुआ” – कप्तान त्सेवांग चुस्कित

कप्तान त्सेवांग चुस्कित ने कहा,

“लद्दाख में आइस हॉकी बचपन से जीवन का हिस्सा रही है। पहले यह केवल पुरुषों द्वारा खेला जाता था, लेकिन आज हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। हमारी जीत इस खेल को देश के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने में मदद करेगी।”

कठिनाइयां और चुनौतियां: सफलता की असली कीमत

1. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: भारत में ठोस और सालभर कार्यरत आइस हॉकी रिंक की भारी कमी है। देहरादून का आइस रिंक, जो 2011 में खुला था, वर्षों तक बंद रहा। हाल ही में यह फिर से 4 मई 2025 से चालू हुआ, जिसमें टीम को केवल 20 दिन की ट्रेनिंग का समय मिला।

2. प्रैक्टिस की सीमाएं:स्वाभाविक बर्फ सिर्फ दो महीने के लिए उपलब्ध होती है, और उस दौरान कई स्थानीय टूर्नामेंट चलते हैं, जिससे टीम प्रैक्टिस में बाधा आती है।

3. सरकार और समाज की उदासीनता:रिनचेन डोलमा कहती हैं,”हमारी जीत के बाद भी लेह से कोई विशेष सराहना नहीं मिली, जो काफी निराशाजनक था।”

समय के साथ आया बदलाव

2016 में जब भारत ने पहली बार चीनी ताइपे में टूर्नामेंट खेला था, तब टीम के पास न तो सही उपकरण थे, न अनुभव। अधिकांश सामान उधार में लेकर खेला गया।

आज खिलाड़ी न सिर्फ ज्यादा अनुभवी हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के बारे में भी सजग हैं। इस बार फिलीपींस ने गोल्ड जीता, लेकिन भारत ने उन्हें कड़ी टक्कर दी।

महिलाओं का आत्मबल: लद्दाख वुमेन्स आइस हॉकी फाउंडेशन (LWIHF)

महिलाओं को आइस हॉकी में बढ़ावा देने के लिए LWIHF की स्थापना की गई। यह संगठन न केवल किट्स और ट्रेनिंग उपलब्ध कराता है, बल्कि गांव-गांव में जाकर शिक्षा शिविर भी आयोजित करता है।

2019–20 में इस फाउंडेशन ने हिमाचल प्रदेश के काजा में 50 स्केट्स और तीन कोच भेजकर प्रशिक्षण शुरू किया। आज हिमाचल की लड़कियां भी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बन रही हैं।

अब आगे की जरूरत: समर्थन, संसाधन और समान अवसर

त्सेवांग चुस्कित की मांगें:

  1. सालभर कार्यरत आइस हॉकी रिंक
  2. पोषण विशेषज्ञ (Nutritionist), फिजियोथेरेपिस्ट और प्रशिक्षक
  3. छात्रवृत्तियां और वित्तीय सहायता
  4. प्रशासन और खेल संघों का सहयोग

“अगर हमें ज़रूरी सुविधाएं और समर्थन मिले, तो हम अगली बार स्वर्ण पदक भी ला सकते हैं,” उन्होंने आत्मविश्वास से कहा।

जीत से आगे बढ़ने की प्रेरणा

भारतीय महिला आइस हॉकी टीम की यह जीत सिर्फ एक कांस्य पदक नहीं, बल्कि कई वर्षों के संघर्ष, समर्पण और दृढ़ निश्चय का परिणाम है। यह सफलता उन हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा बनेगी, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखती हैं।

इस जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो बर्फ पर भी इतिहास लिखा जा सकता है।

IIHF वुमेन्स एशिया कप 2025 में भारतीय महिला आइस हॉकी टीम की कांस्य पदक जीत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण FAQ (Frequently Asked Questions)

1. भारतीय महिला आइस हॉकी टीम ने किस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता?

भारतीय महिला आइस हॉकी टीम ने IIHF वुमेन्स एशिया कप 2025 में कांस्य पदक जीता, जो 31 मई से 6 जून के बीच अल-अइन, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हुआ।

2. इस टूर्नामेंट में भारत ने कितने मैच खेले और क्या प्रदर्शन रहा?

भारत ने कुल 5 मैच खेले, जिनमें से 3 मैचों में जीत और 2 में हार का सामना किया। टीम ने 13 गोल किए और 16 गोल खाए, जिससे भारत तीसरे स्थान पर रहा।

3. टीम में कितनी खिलाड़ी थीं और वे कहां से थीं?

टीम में 20 खिलाड़ी थीं, जिनमें से 19 लद्दाख से और 1 खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश से थी।

4. इस जीत की शुरुआत कब और कैसे हुई?

भारत ने पहली बार 2016 में IIHF वुमेन्स चैलेंज कप में भाग लिया था।

लगभग एक दशक बाद, अब 2025 में यह ऐतिहासिक कांस्य पदक मिला है।

 5. कप्तान और पूर्व कप्तान ने क्या प्रतिक्रिया दी?

कप्तान त्सेवांग चुस्कित ने इसे “सपने के सच होने जैसा” बताया और

कहा कि इससे देश में आइस हॉकी को पहचान मिलेगी।

पूर्व कप्तान रिनचेन डोलमा ने इसे कठिन संघर्ष की जीत बताया और भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई।

6. टीम को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

  1. भारत में सालभर उपयोग योग्य आइस रिंक की कमी
  2. प्रॉपर ट्रेनिंग और कोचिंग न मिल पाना
  3. सीमित समय में अभ्यास
  4. सरकार व स्थानीय प्रशासन से अपेक्षित समर्थन की कमी

7. आइस हॉकी को महिलाओं के लिए कैसे बढ़ावा दिया जा रहा है?

Ladakh Women’s Ice Hockey Foundation (LWIHF) की स्थापना के जरिए महिलाओं और बच्चों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

यह फाउंडेशन उपकरण दान, कोचिंग कैंप,

और सोशल मीडिया प्रचार के माध्यम से आइस हॉकी को बढ़ावा दे रहा है।

8.टीम को अब किन जरूरी चीजों की आवश्यकता है?

  1. एक फुल-टाइम आइस हॉकी रिंक
  2. प्रशिक्षक, फिजियोथेरेपिस्ट, न्यूट्रिशनिस्ट
  3. वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति व स्टाइपेंड
  4. खेल संघों और प्रशासन का सहयोग

 9. क्या आइस हॉकी भारत में मान्यता प्राप्त खेल है?

लद्दाख में आइस हॉकी को राज्य खेल (State Sport) का दर्जा प्राप्त है।

हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर अभी इसे पर्याप्त समर्थनऔर पहचान की आवश्यकता है।

10. क्या भविष्य में भारत आइस हॉकी में और बेहतर प्रदर्शन कर सकता है?

बिलकुल! अगर खिलाड़ियों को पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन मिले, तो भारत भविष्य में स्वर्ण पदक भी जीत सकता है।

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