शतरंज (Chess) का इतिहास भारत से हुई शुरुआत
Chess (शतरंज) एक ऐसा खेल है जिसकी जड़ें भारत में गहराई से जुड़ी हुई हैं। इसका आरंभ 6वीं शताब्दी में भारत में “चतुरंग” नामक खेल के रूप में हुआ था, जिसमें राजा, घोड़े, हाथी और पैदल सैनिक जैसे चार प्रमुख अंग होते थे। यही खेल समय के साथ ईरान पहुंचा, जहाँ इसे “शतरंज” नाम दिया गया, और फिर यह यूरोप में “चेस” के नाम से प्रचलित हुआ। आज यह खेल विश्व के सबसे लोकप्रिय बौद्धिक खेलों में शामिल है, और हर वर्ष 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाकर इसकी महत्ता को याद किया जाता है।
शतरंज की वैश्विक राजधानी बनने की ओर भारत
भारत ने इस खेल को जन्म देने के साथ-साथ इसे विश्वस्तर पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में भी अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में भारत में 84 से अधिक ग्रैंडमास्टर्स हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत के पास आज विश्व की सबसे युवा और होनहार शतरंज प्रतिभाओं की फौज है। भारत ने 2022 में चेन्नई में पहली बार चेस ओलंपियाड का सफल आयोजन भी किया, जिससे शतरंज को देशभर में नई पहचान मिली।
भारतीय शतरंज का सबसे चमकता सितारा विश्वनाथन आनंद हैं, जो भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने और 5 बार विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया बल्कि देश में शतरंज को लोकप्रिय बनाने में भी एक निर्णायक भूमिका निभाई। आज उनके पदचिन्हों पर चलकर कई युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
हाल ही में भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर. प्रज्ञानानंद और डी. गुकेश ने दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को मात देकर दुनिया भर में सनसनी मचा दी। डी. गुकेश तो अब दुनिया के टॉप 10 खिलाड़ियों में गिने जा रहे हैं। इनके अलावा विदित गुजराती, निहाल सरीन, अर्जुन एरिगैसी और रौनक साधवानी जैसे नाम भी भारतीय शतरंज को नई दिशा दे रहे हैं। इन खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ यह साबित करती हैं कि भारत अब शतरंज में सिर्फ प्रतिभा पैदा नहीं कर रहा, बल्कि विश्व चैंपियनशिप जीतने की दहलीज़ पर खड़ा है।
भारत की महिला ग्रैंडमास्टर्स
आज भारत की कई महिला ग्रैंडमास्टर्स (Women Grandmasters – WGM) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहरा रही हैं और नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए आदर्श बन चुकी हैं।
भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर कोनेरु हम्पी (Koneru Humpy) हैं, जिन्होंने बेहद कम उम्र में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई। वे 2002 में ग्रैंडमास्टर बनी थीं और लंबे समय तक विश्व की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ियों में शुमार रहीं। हम्पी ने 2020 में FIDE महिला विश्व रैपिड चैंपियनशिप जीतकर एक बार फिर यह साबित किया कि वे अभी भी दुनिया की सबसे मजबूत महिला खिलाड़ियों में से एक हैं।
एक और प्रमुख नाम है द्रोणावल्ली हरिका (Dronavalli Harika) का, जो 3 बार FIDE महिला विश्व चैंपियनशिप में सेमीफाइनल तक पहुंच चुकी हैं। हरिका अपनी आक्रामक शैली और ठोस रणनीति के लिए जानी जाती हैं। वे कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और भारत की महिला टीम की मजबूत स्तंभ मानी जाती हैं।
महिला शतरंज खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या
वैशाली आर (Vaishali R) भी एक होनहार युवा खिलाड़ी हैं जो अब तेज़ी से शिखर की ओर बढ़ रही हैं। वह ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद की बहन हैं, और हाल के वर्षों में उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की है। वैशाली ने भारत की महिला टीम को 2022 के चेस ओलंपियाड में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
अन्य उल्लेखनीय महिला खिलाड़ियों में पद्मिनी राउत, सौम्या स्वामीनाथन, मैरियम गोम्स और नंधिधा पीवी जैसे नाम शामिल हैं। ये सभी महिलाएं लगातार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलती हैं और भारत को गौरव दिला रही हैं।
जरूरत है कि महिला खिलाड़ियों को समान अवसर, कोचिंग, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन मिले ताकि वे भी पुरुषों की तरह ओपन वर्ग की प्रतियोगिताओं में विश्व चैंपियन बनने का सपना साकार कर सकें। सरकार और निजी संस्थानों द्वारा महिला शतरंज को और बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास ज़रूरी हैं, ताकि भारत की बेटियां भी इस खेल में विश्व स्तर पर अपनी बादशाहत स्थापित कर सकें।
शतरंज खेलने के फायदे
- शतरंज न केवल एक खेल है, बल्कि यह मानसिक विकास का भी माध्यम है।
- इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, विश्लेषणात्मक सोच, निर्णय लेने की योग्यता और धैर्य बढ़ता है।
- यह बच्चों के बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक सिद्ध होता है और बड़ों के लिए मानसिक व्यायाम जैसा है।
आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन चेस प्लेटफॉर्म्स, मोबाइल ऐप्स और प्रतियोगिताओं के कारण यह खेल और भी सुलभ हो गया है।
इस खेल को और कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?
इस खेल को और आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि-
- इसे स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए,
- गाँव-शहरों में चेस क्लब खोले जाएं,
- खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता और
- कोचिंग मिले तथा सरकारी स्तर पर इस खेल को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएं।
भारत में छिपी हुई प्रतिभा को केवल सही मार्गदर्शन और अवसर की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस पर हमें यह गर्व से कहना चाहिए कि शतरंज की शुरुआत भारत से हुई और आज भारत इस खेल को एक बार फिर विश्व के शीर्ष पर पहुँचाने की ओर अग्रसर है। आने वाले समय में भारत से विश्व चैंपियन का ताज पहनने वाले और कई खिलाड़ी उभरेंगे —
यह न केवल संभावित है, बल्कि निश्चित भी लगता है।
FAQs
Q1. अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस कब मनाया जाता है?
20 जुलाई को।
Q2. भारत में कितने ग्रैंडमास्टर हैं?
2024 तक 84 से अधिक।
Q3. भारत का पहला ग्रैंडमास्टर कौन था?
विश्वनाथन आनंद।
Q4. शतरंज खेलने से क्या लाभ है?
दिमागी विकास, ध्यान, याददाश्त और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।
Q5. क्या भारत ने कभी चेस ओलंपियाड होस्ट किया है?
हां, 2022 में चेन्नई में।
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