कैमूर की प्राचीन धरोहर: मां मुंडेश्वरी मंदिर और बिहार का रहस्यमयी पंचमुखी शिवलिंग

माँ मुंडेश्वरी मंदिर और पंचमुखी शिवलिंग– कैमूर, बिहार

माँ मुंडेश्वरी मंदिर और पंचमुखी शिवलिंग– कैमूर, बिहार

बिहार के कैमूर जिले की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित माँ मुंडेश्वरी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक रहस्यमयी और ऐतिहासिक चमत्कार भी है, जो वैज्ञानिकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। यह मंदिर लगभग 608 फीट ऊँची मुंडेश्वरी पहाड़ी पर स्थित है और इसे दुनिया का सबसे प्राचीन जीवंत (functional) हिंदू मंदिर माना जाता है, जिसकी स्थापना 108 ईस्वी के आसपास मानी जाती है।

पंचमुखी शिवलिंग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित इस मंदिर की सबसे रहस्यमयी विशेषता है यहाँ स्थापित पंचमुखी शिवलिंग, जिसके पाँच चेहरों को देखकर ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान शिव के पांच रूप अलग-अलग दिशाओं में संसार की रक्षा कर रहे हों। गर्भगृह में स्थापित यह शिवलिंग न सिर्फ स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी परिपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि दिन के विभिन्न समयों में इस शिवलिंग का रंग बदलता है — सुबह हल्का सुनहरा, दोपहर में धूसर और शाम को गहरा काला — जिसे देखना एक अलौकिक अनुभव जैसा लगता है।

मंदिर की एक और रहस्यमयी परंपरा है — बकरी बलि, लेकिन यह बलि अनूठी है, क्योंकि इसमें न तो रक्त बहता है, न ही बकरी को कोई शारीरिक क्षति पहुँचती है। भक्त जब चावल और मंत्रों के साथ बकरी को अर्पित करते हैं, तो वह कुछ क्षणों के लिए अचेत हो जाती है और फिर स्वतः सामान्य होकर उठ जाती है। यह दृश्य जहाँ श्रद्धालुओं के लिए चमत्कार होता है, वहीं वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है।

माँ मुंडेश्वरी मंदिर का स्थापत्य और संरचना

मंदिर की वास्तुकला भी रहस्य से भरपूर है — इसका अष्टकोणीय निर्माण भारत में दुर्लभ है और नागर शैली की प्राचीन स्थापत्य कला को दर्शाता है। मंदिर की छत का शिखर समय के साथ नष्ट हो चुका था, जिसे बाद में संरक्षित किया गया, लेकिन मूल पत्थर की दीवारें आज भी उस काल की कहानी बयां करती हैं। गर्भगृह में देवी महिषासुरमर्दिनी के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें स्थानीय रूप में माँ मुंडेश्वरी कहा जाता है।

मान्यता है कि माँ मुंडेश्वरी की शक्ति और भगवान शिव की पंचमुख उपस्थिति मिलकर इस स्थान को अत्यंत तांत्रिक और शक्तिशाली बनाती हैं। हर साल नवरात्र, शिवरात्रि और रामनवमी जैसे पर्वों पर यहाँ दूर-दराज़ से हज़ारों भक्त पहुंचते हैं, जो मंदिर के रहस्यों को अनुभव करने और अपने कष्टों का निवारण पाने की आशा लेकर आते हैं।

यह मंदिर केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि यह हज़ारों वर्षों से चली आ रही आस्था, रहस्य, और चमत्कारों की एक जीवित गाथा है, जो न केवल अतीत से जोड़ती है, बल्कि आत्मा को भी अद्भुत शांति और शक्ति का अनुभव कराती है। माँ मुंडेश्वरी मंदिर को देखने, समझने और महसूस करने के लिए केवल आँखें नहीं, एक आस्था से भरा हृदय भी चाहिए।

माँ मुंडेश्वरी मंदिर – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. माँ मुंडेश्वरी मंदिर कहाँ स्थित है?

यह मंदिर बिहार राज्य के कैमूर जिले के रामगढ़ गाँव के पास मुंडेश्वरी पहाड़ी पर स्थित है।

यह पहाड़ी लगभग 608 फीट ऊँची है।

2. क्या माँ मुंडेश्वरी मंदिर दुनिया का सबसे पुराना मंदिर है?

हाँ, यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है और इसे दुनिया का सबसे प्राचीन जीवंत (Functional) हिंदू मंदिर माना जाता है, जिसकी स्थापना 108 ईस्वी के आसपास हुई थी।

3. मंदिर में किस देवता की पूजा होती है?

यहाँ माँ मुंडेश्वरी देवी (महिषासुरमर्दिनी) की मुख्य रूप से पूजा होती है। साथ ही यहाँ एक रहस्यमयी पंचमुखी शिवलिंग भी स्थापित है, जो भगवान शिव के पाँच रूपों का प्रतीक है।

4. पंचमुखी शिवलिंग क्या होता है और यहाँ क्या विशेष है?

पंचमुखी शिवलिंग वह होता है जिसमें शिव के पाँच चेहरे चारों दिशाओं और ऊपर की ओर उकेरे गए होते हैं। मुंडेश्वरी मंदिर में स्थापित यह शिवलिंग अत्यंत प्राचीन और दुर्लभ है, और माना जाता है कि यह दिन के अलग-अलग समय में रंग बदलता है।

5. क्या यहाँ बलि दी जाती है? क्या यह हिंसात्मक है?

जी नहीं। यहाँ एक अनोखा बकरी बलि अनुष्ठान होता है जिसमें न तो कोई रक्त बहता है और न ही बकरी को कोई शारीरिक नुकसान होता है। मंत्रोच्चार के बाद बकरी कुछ समय के लिए अचेत हो जाती है और फिर खुद ही उठकर चलने लगती है।

यह प्रक्रिया आज भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निभाई जाती है।

6. यहाँ कैसे पहुँचा जा सकता है?

निकटतम रेलवे स्टेशन-भभुआ रोड / मोहनिया (लगभग 22 किमी)

निकटतम हवाई अड्डा– वाराणसी (लगभग 100 किमी)

सड़क मार्ग से पटना, सासाराम और वाराणसी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

7. मंदिर में कौन-कौन से त्यौहार विशेष रूप से मनाए जाते हैं?

मंदिर में नवरात्र, रामनवमी, महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर विशेष पूजा और मेला आयोजित होता है।

इन अवसरों पर हज़ारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

8. क्या माँ मुंडेश्वरी मंदिर तांत्रिक शक्तियों का केंद्र है?

मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर शक्ति और शिव के तांत्रिक मिलन का स्थल है।

कई साधक यहाँ ध्यान और साधना के लिए भी आते हैं।

9. क्या मंदिर में फोटो खींचना और वीडियो बनाना अनुमति है?

जी हाँ, बाहरी परिसर में आप फोटो और वीडियो ले सकते हैं, लेकिन गर्भगृह में यह सीमित या वर्जित हो सकता है।

स्थानीय नियमों का पालन करना चाहिए।

10. मंदिर किस समय खुला रहता है?

मंदिर आमतौर पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है। विशेष पर्वों पर यह समय बढ़ाया भी जा सकता है।

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