Panchayat Season 4 Review: इस बार सचिव जी भी थोड़े थके-थके से लगे!

Panchayat Season 4

फुलेरा की Panchayat Season 4 फुल फ्रेंचाइज़ी में इस बार थोड़ी हवा कम थी…

Panchayat के पहले तीन सीज़न हमें हर बार हंसी, इमोशन और रियलिटी का ऐसा तड़का दे गए थे, कि दिल कहता था – “भाई, हर गांव ऐसा ही होना चाहिए!”

सीजन 4 की कहानी वहीं से उठती है जहां पिछला सीजन हमें suspense में छोड़ गया था। सचिव जी (जितेंद्र कुमार) अब पहले से ज़्यादा समझदार हो गए हैं और गांव की राजनीति को लेकर पूरी तरह updated भी।
इस बार फुलेरा गांव में चुनाव की गर्मी है, विरोधियों की चालें हैं, और बीच में फंसे हैं हमारे भोले-भाले पर होशियार सचिव जी।

गांव की गलियों से लेकर पंचायत के दफ्तर तक, हर सीन में कुछ न कुछ पक रहा है – कभी गुनगुनाते Lauki की सब्ज़ी तो कभी भ्रष्टाचार की चटपटी खिचड़ी।

लेकिन सीज़न 4 आते-आते ऐसा लगने लगा कि जैसे कहानी की गाड़ी पहले गियर में ही फंसी रह गई हो।

क्या कमज़ोर पड़ा इस बार?

1. प्लॉट में दम नहीं था, ड्रामा में दम नहीं था

इस बार गांव की राजनीति को लेकर बहुत कुछ दिखाया गया, लेकिन कोई एक स्ट्रॉन्ग कंफ्लिक्ट नहीं था जो दर्शकों को पकड़ कर रख सके। हर एपिसोड में कुछ न कुछ हो रहा था, लेकिन “क्यों हो रहा है?” इसका असर कहीं खो गया।

2. सचिव जी का चार्म थोड़ा फीका पड़ा

जहां पिछले सीज़न में अभिषेक त्रिपाठी यानि सचिव जी अपनी कॉन्फ्लिक्ट्स और स्ट्रगल्स के जरिए दिल जीत लेते थे, इस बार उनका किरदार थोड़ा थका-थका और रूटीन सा लगा। न कोई गहरी उधेड़बुन, न कोई बड़ा बदलाव।

3. इमोशनल हाई पॉइंट मिसिंग था

Season 2 में प्रह्लाद जी का बेटा, Season 3 में ट्रांसफर ड्रामा – सब कुछ दिल को छू जाता था। लेकिन सीज़न 4 में ऐसा कोई भी सीरियस मोमेंट दमदार नहीं लगा जो आंखें नम कर दे।

4. रिंकी-सचिव जी की लव स्टोरी – अब तो कुछ करो भाई!

तीन सीज़न से हम इसी उम्मीद में जी रहे हैं कि कुछ प्रगति होगी… लेकिन यहां तो progress report में सिर्फ “work in progress” लिखा दिखता है। Fans अब थक गए हैं!

कुछ बातें जो फिर भी पसंद आईं Panchayat में 

विकास और प्रह्लाद जी की कॉमिक टाइमिंग अब भी क्लासिक है।

नीना गुप्ता जी का किरदार अब भी आत्मा है पंचायत की।

बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी पहले जैसे ही प्यारे हैं।

Funny Quote Review Style:

“Panchayat Season 4 ऐसा लगा जैसे सर्दियों में रजाई तो मिली, पर बिजली चली गई हो – आराम तो है, पर मजा नहीं आया!”

क्या हो सकता था बेहतर?

एक मजबूत मुख्य कहानी, जो शुरुआत से क्लाइमेक्स तक जुड़ी रहती।

Secretary जी के किरदार में कोई नया मोड़।

रिंकी और अभिषेक की लव स्टोरी को थोड़ा और depth देना।

थोड़ा ज्यादा pace – कई एपिसोड खिंचे हुए से लगे।

Final Verdict: Panchayat ka charm है, पर इस बार Season 4 की light dim थी!

⭐ रेटिंग: 3.5/5
“देखने लायक तो है, लेकिन दिल से कनेक्शन इस बार थोड़ा weak लगा। जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हुई – लेकिन पंचायत से प्यार कम नहीं हुआ।”

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. क्या पंचायत सीजन 4 देखने लायक है?
Ans. हां, पर उम्मीदें थोड़ी कम रखें तो ज़्यादा मजा आएगा।

Q2. क्या ये सीजन कमजोर है पहले के मुकाबले?
Ans. हां, कहानी और इमोशन दोनों में थकावट सी दिखती है।

Q3. क्या अगला सीज़न आएगा?
Ans. अगर आया, तो हम यही चाहेंगे कि वापस उसी जोश और जान के साथ आए जैसे पहले तीन सीजन में था।

अगर आप भी इस सीज़न से थोड़े disappointed हैं, तो टेंशन मत लीजिए – गांव अभी जिंदा है, secretary जी भी! और शायद अगली बार फुलेरा फिर से जादू करेगा।

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