प्राणायाम क्या है? प्रकार, लाभ और करने की विधि

प्राणायाम pranayam

प्राणायाम क्या है?

प्राणायाम एक संस्कृत शब्द है जिसमें “प्राण” का अर्थ है जीवन शक्ति या सांस, और “आयाम” का अर्थ है नियंत्रण या विस्तार। प्राणायाम का मतलब है श्वास पर नियंत्रण करना। यह योग की एक महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें श्वास को नियंत्रित करके शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित किया जाता है।

योग विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है प्राणायाम। यह केवल सांसों का अभ्यास नहीं, बल्कि जीवनशक्ति को नियंत्रित करने की एक तकनीक है। “प्राण” का अर्थ है जीवन ऊर्जा और “आयाम” का अर्थ है विस्तार। जब हम प्राणायाम करते हैं, तो हम अपनी ऊर्जा को शुद्ध, संतुलित और नियंत्रित करते हैं।

प्राणायाम के मुख्य लाभ (Benefits of Pranayama)

प्राचीन ऋषि-मुनियों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक ने माना है कि प्राणायाम न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि अनेक बीमारियों को दूर करने में सहायक भी है

प्राणायाम के मुख्य लाभ (Benefits of Pranayama)

लाभविवरण
मानसिक शांतिचिंता, तनाव, और डिप्रेशन को कम करता है
श्वसन तंत्र को मज़बूत बनाता हैअस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में सहायक
रक्त संचार सुधारता हैहृदय रोगों से बचाव
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता हैशरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है
नींद में सुधारअनिद्रा की समस्या दूर होती है
एकाग्रता में वृद्धिपढ़ाई करने वाले और ऑफिस वर्कर्स के लिए फायदेमंद
वजन घटाने में सहायकमेटाबोलिज्म को तेज करता है

प्राणायाम के प्रकार और करने की विधि (Types of Pranayama and How to Do)

1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम (Nadi Shodhan / Alternate Nostril Breathing)

कैसे करें-

  1. सुखासन या पद्मासन में बैठें।
  2. दाहिने हाथ का अंगूठा दाहिनी नासिका पर रखें।
  3. बाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस लें।
  4. फिर अनामिका से बाईं नासिका बंद करें और दाईं नासिका खोलें, और धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  5. अब दाईं से सांस लें और बाईं से छोड़ें – यह एक चक्र हुआ।
  6. 5-10 मिनट तक करें।

लाभ-मन शांत होता है,नाड़ियों की शुद्धि,एकाग्रता बढ़ती है,हृदय और मस्तिष्क के लिए लाभकारी

2. कपालभाति प्राणायाम

कैसे करें-

  1. कमर सीधी करके बैठें।
  2. पेट को झटके से अंदर खींचते हुए सांस को नाक से बाहर फेंकें (तेज एक्सहेल)।
  3. सांस स्वत: अंदर आएगी – इसमें फोकस सिर्फ बाहर फेंकने पर है।
  4. एक मिनट में 60-80 बार करें (शुरुआत में 30 बार)।
  5. 3 राउंड करें।

लाभ- पेट की चर्बी घटती है,पाचन ठीक होता है,श्वास तंत्र मजबूत होता है,मन में ऊर्जा आती है

3. भस्त्रिका प्राणायाम

कैसे करें-

  1. नाक से जोर-जोर से सांस अंदर और बाहर करें (इन्हेल-एक्सहेल दोनों तेज)।
  2. एक मिनट तक करें, फिर सामान्य सांस लें।
  3. 3 बार दोहराएं।

लाभ- ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है,थकान दूर होती है,ब्रोंकाइटिस, अस्थमा में लाभकारी

4. भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari – Bee Breathing)

कैसे करें-

  1. आंखें बंद करें।
  2. दोनों हाथों की तर्जनी से कान बंद करें।
  3. गहरी सांस लें और ‘भ्ररररर’ (मधुमक्खी की आवाज) निकालते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  4. 5-7 बार दोहराएं।

लाभ- तनाव और चिंता में आराम,अनिद्रा से राहत,सिरदर्द और माइग्रेन में उपयोगी

5. उज्जायी प्राणायाम

कैसे करें-

  1. गले को संकुचित करके गहरी सांस लें (थोड़ी आवाज के साथ)।
  2. फिर उसी तरीके से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  3. यह गले की खरखराहट जैसी आवाज के साथ होता है।
  4. 5-10 मिनट तक करें।

लाभ- थायरॉइड में लाभकारी,मन और शरीर को गर्मी प्रदान करता है,उच्च रक्तचाप में लाभदायक

6. शीतली प्राणायाम (Sheetali – Cooling Breath)

कैसे करें-

  1. जीभ को नलिका की तरह बाहर निकालें।
  2. उसी नली से सांस अंदर खींचें (ठंडी हवा लगेगी)।
  3. फिर नाक से धीरे सांस बाहर छोड़ें।
  4. 5-10 बार दोहराएं।

लाभ- शरीर को ठंडक देता है,हाई बीपी में राहत,गर्मी के मौसम में अत्यधिक लाभकारी

7. शीतकारी प्राणायाम

कैसे करें-

  1. दांतों को थोड़ा खोलें, जीभ को पीछे रखें।
  2. दांतों के बीच से सांस खींचें (सीटी जैसी आवाज)।
  3. नाक से सांस छोड़ें।
  4. 5-10 बार करें।

लाभ- शरीर की गर्मी शांत होती है,प्यास, थकान, गुस्सा शांत होता है

8. सूर्य भेदी प्राणायाम

कैसे करें-

  1. दाहिने नथुने (सूर्य नाड़ी) से सांस लें।
  2. बाएं नथुने से सांस छोड़ें।
  3. 10-15 बार करें।

लाभ- ठंड में शरीर को गर्म रखता है,पाचन शक्ति बढ़ाता है

9. चंद्र भेदी प्राणायाम

कैसे करें-

  1. बाएं नथुने से सांस लें।
  2. दाहिने नथुने से सांस छोड़ें।
  3. 10-15 बार करें।

लाभ- गर्मी में ठंडक देता है,रक्तचाप कम करता है

10. मूर्‍छा प्राणायाम

कैसे करें-

  1. गहरी सांस लें और शरीर को शांत करें।
  2. धीरे-धीरे ध्यान की स्थिति में जाकर सांस को थोड़ी देर रोकें।
  3. फिर धीरे से छोड़ें।
    यह अनुभवी योगियों के लिए है।

लाभ- ध्यान की अवस्था,आत्म-साक्षात्कार में सहायक

शुरुआती के लिए सुझाव

सप्ताहअभ्यास
सप्ताह 1अनुलोम-विलोम (5 मिनट), कपालभाति (2 मिनट)
सप्ताह 2भ्रामरी (2 मिनट), भस्त्रिका (1 मिनट)
सप्ताह 3 से आगेउज्जायी, शीतली, सूर्य/चंद्र भेदी को जोड़ें

 

 

शुरुआती (Beginners) कैसे शुरू करें प्राणायाम?

1. जगह का चयन- शांत और हवादार स्थान पर बैठें।
2. समय- सुबह सूर्योदय से पहले या बाद, या शाम को सूर्यास्त के समय।
3. मुद्रा- सुखासन, पद्मासन, या वज्रासन में बैठें।
4. सांसों पर ध्यान दें-शुरू में केवल गहरी सांस लेना और छोड़ना शुरू करें।
5. क्रम-  दिन

1–5: अनुलोम-विलोम (5 मिनट)

6–10: कपालभाति (3 मिनट), भ्रामरी (2 मिनट)

11–15: भस्त्रिका (2 मिनट), उज्जायी (2 मिनट)

फिर क्रमश: समय और प्रकार बढ़ाएं।

6. नियम-

पेट खाली होना चाहिए (खाने के 3 घंटे बाद करें),साफ नाक और सांस की नली रखें,धीरे-धीरे शुरुआत करें, अधिक जोर न लगाएं,मन को शांत रखें, और ध्यान रखें कि सांस की लय बनी रहे

सावधानियाँ

प्रेग्नेंसी में कुछ प्राणायाम न करें (जैसे कपालभाति), हाई बीपी और हृदय रोग में भस्त्रिका सावधानी से करें,डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह से ही शुरू करें यदि कोई गंभीर बीमारी है

प्रत्येक प्राणायाम की अपनी विधि, लाभ और उद्देश्य है। यदि आप रोज़ कम से कम 15–30 मिनट प्राणायाम करते हैं, तो न केवल आप बीमारियों से दूर रहेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित रहेंगे।प्राणायाम एक चमत्कारी योग क्रिया है जो न केवल शरीर को स्वस्थ बनाती है, बल्कि मन को भी शांत करती है। इसे नियमित रूप से करने पर दिमाग तेज होता है, बीमारियों से सुरक्षा मिलती है और जीवन में ऊर्जा का संचार होता है।

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