QR Code से NFC तक – Contactless payment technology
डिजिटल पेमेंट की दुनिया में पिछले कुछ सालों में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। नकद लेन-देन से शुरू होकर अब हम सिर्फ एक स्कैन या टैप से पेमेंट करने लगे हैं। QR कोड और NFC (Near Field Communication) तकनीक इस बदलाव की दो अहम कड़ियां हैं। आइए जानते हैं इनका इतिहास, अंतर और भविष्य।
एक स्कैन और भुगतान की कहानी- QR Code का इतिहास
QR (Quick Response) कोड का आविष्कार 1994 में जापान की कंपनी Denso Wave ने किया था। शुरुआत में इसका इस्तेमाल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पार्ट्स ट्रैक करने के लिए किया जाता था, लेकिन समय के साथ यह मार्केटिंग, जानकारी शेयर करने और खासकर डिजिटल पेमेंट में लोकप्रिय हो गया।
भारत में QR कोड पेमेंट का असली बूम UPI (Unified Payments Interface) के आने के बाद हुआ। पेटीएम, फोनपे, गूगल पे और भारत पे जैसी ऐप्स ने दुकानदार से लेकर रिक्शा चालक तक को कैशलेस पेमेंट की सुविधा दी।
QR Code पेमेंट के फायदे-
सस्ता और आसान सेटअप (सिर्फ एक प्रिंटेड कोड)
इंटरनेट और स्मार्टफोन के जरिए हर जगह इस्तेमाल
कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन
NFC टेक्नोलॉजी – बस एक टैप में पेमेंट
NFC यानी Near Field Communication, एक शॉर्ट-रेंज वायरलेस कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी है जो डिवाइस को 4 सेमी या उससे कम दूरी पर कनेक्ट करती है। इसका इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट/डेबिट कार्ड, स्मार्टफोन व स्मार्टवॉच पेमेंट में होता है।
एप्पल पे, गूगल पे (टैप-टू-पे), सैमसंग पे और कई बैंक कार्ड्स NFC को सपोर्ट करते हैं। भारत में भी Tap & Pay फीचर अब बड़े शहरों में मेट्रो, मॉल और सुपरमार्केट में आम हो रहा है।
NFC पेमेंट के फायदे-
बेहद तेज़ ट्रांजैक्शन (सिर्फ टैप करें)
सिक्योरिटी के लिए एनक्रिप्शन और टोकनाइजेशन
बिना इंटरनेट के भी काम करने की क्षमता (कुछ मामलों में)
QR Code vs NFC – कौन बेहतर?
Features | QR Code | NFC |
---|---|---|
स्पीड | स्कैन करने में थोड़ा समय लगता है | लगभग तुरंत पेमेंट |
सेटअप कॉस्ट | बेहद कम | ज़्यादा (डिवाइस/टर्मिनल चाहिए) |
इंटरनेट की ज़रूरत | हाँ | नहीं (कुछ मामलों में) |
सिक्योरिटी | अच्छी, लेकिन स्कैम के खतरे | बहुत हाई सिक्योरिटी |
लोकप्रियता (भारत) | छोटे दुकानदारों में ज़्यादा | अभी बड़े रिटेल/शहरों में सीमित |
भविष्य – QR और NFC का कॉम्बो
आने वाले समय में QR और NFC दोनों तकनीकें साथ-साथ चलेंगी। छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों में QR कोड का वर्चस्व रहेगा, जबकि मेट्रो सिटी और हाई-स्पीड ट्रांजैक्शन के लिए NFC का इस्तेमाल बढ़ेगा।
इसके अलावा Voice Payment और Biometric Payment जैसी तकनीकें भी धीरे-धीरे मुख्यधारा में आएंगी।
निष्कर्ष
QR कोड और NFC, दोनों ने पेमेंट टेक्नोलॉजी में नया युग शुरू किया है। QR कोड ने डिजिटल पेमेंट को हर किसी के लिए सुलभ बनाया, जबकि NFC ने स्पीड और सिक्योरिटी का नया स्तर जोड़ा। चाहे आप स्कैन करें या टैप, असल मकसद कैशलेस और सुरक्षित ट्रांजैक्शन है — और यही है भविष्य की दिशा।
FAQ – QR Code से NFC तक- पेमेंट टेक्नोलॉजी का सफर
1. QR कोड क्या है और यह पेमेंट में कैसे काम करता है?
QR कोड एक 2D बारकोड है जिसे स्मार्टफोन कैमरा या स्कैनर से पढ़ा जाता है। पेमेंट में, कोड स्कैन करने पर ट्रांजैक्शन डिटेल्स UPI या बैंक ऐप में खुल जाती हैं और भुगतान हो जाता है।
2. NFC टेक्नोलॉजी क्या है?
NFC (Near Field Communication) एक वायरलेस कम्युनिकेशन तकनीक है जो दो डिवाइस को करीब लाकर डेटा ट्रांसफर करती है। इसका इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट, एक्सेस कार्ड और स्मार्ट डिवाइस कनेक्टिविटी में होता है।
3. NFC और QR कोड में क्या अंतर है?
QR कोड में स्कैन करना होता है जबकि NFC में सिर्फ टैप करना होता है। NFC तेज़ और सिक्योर है लेकिन सेटअप कॉस्ट ज्यादा होती है, जबकि QR कोड सस्ता और हर जगह इस्तेमाल योग्य है।
4. क्या NFC बिना इंटरनेट के काम करता है?
हाँ, कुछ NFC पेमेंट बिना इंटरनेट के भी हो सकते हैं, खासकर तब जब कार्ड में ऑफलाइन लिमिट सेट हो।
5. भविष्य में QR कोड और NFC का क्या रोल होगा?
भविष्य में दोनों तकनीकें साथ-साथ चलेंगी। छोटे दुकानों में QR कोड लोकप्रिय रहेगा और बड़े रिटेल स्टोर्स, मेट्रो या फास्ट पेमेंट के लिए NFC का इस्तेमाल बढ़ेगा।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे शेयर करें और हमारी वेबसाइटको सब्सक्राइब करें –
साथ ही, जुड़े रहिए हमारे Social Media Handle से-