हम राम नवमी (Ram Navami) क्यों मनाते हैं?
रामनवमी (Ram Navami)हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जिसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
(Ram Navami) राम नवमी का इतिहास और इसका कारण
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ के घर चैत्र मास की नवमी को भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम ने जन्म लिया था। उनका जन्म रावण के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्त कराने और धर्म की स्थापना हेतु हुआ था।
श्रीराम का जीवन आदर्श, संयम, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है। वे एक आदर्श पुत्र, भाई, पति, राजा और योद्धा के रूप में पूजे जाते हैं। राम नवमी के दिन उनके जीवन से जुड़ी कथाओं का पाठ, रामायण का पाठ और रामचरितमानस का पाठ किया जाता है।
राम नवमी का महत्व
धार्मिक महत्व: यह दिन भगवान राम के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है और भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, रामायण का पाठ करते हैं और प्रभु श्रीराम के नाम का कीर्तन करते हैं।
सांस्कृतिक महत्व: देश के कई हिस्सों में झांकियां निकाली जाती हैं, रामलीला का आयोजन होता है और भगवान राम की शोभायात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।
आध्यात्मिक महत्व: यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय, धर्म की स्थापना और मर्यादा में जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
(Ram Navami) राम नवमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि: रविवार, 6 अप्रैल 2025
नवमी तिथि प्रारंभ: 6 अप्रैल को दोपहर 12:26 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 7 अप्रैल को दोपहर 1:53 बजे
राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त:
राम जन्म का समय (मध्यान काल): 6 अप्रैल को दोपहर 11:04 बजे से 1:38 बजे तक
अवधि: 2 घंटे 34 मिनट
राम नवमी पर पूजा कैसे करें? पूजा की विधि
स्नान एवं व्रत संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थान की तैयारी: घर में किसी साफ स्थान पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें।
पूजन सामग्री: रोली, अक्षत, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, फल, मिठाई, तुलसी पत्र, पंचामृत, जल आदि तैयार रखें।
भगवान राम की पूजा:
- भगवान राम को जल अर्पित करें और पंचामृत स्नान कराएं।
- वस्त्र पहनाएं और आभूषण सजाएं।
- फूल, रोली, अक्षत अर्पित करें।
- फल-मिठाई का भोग लगाएं।
- तुलसी पत्र अवश्य चढ़ाएं।
- श्रीराम स्तुति, रामरक्षा स्तोत्र या रामायण का पाठ करें।
- आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
भजन-कीर्तन: दिनभर श्रीराम के भजन, कीर्तन, रामनाम संकीर्तन करें।
श्रीराम जन्म की घड़ी: मध्यान काल (राम जन्म के समय) में श्रीराम के जन्म का उत्सव मनाएं, शंख बजाएं, जयकारा लगाएं।
राम नवमी (Ram Navami)केवल एक त्यौहार नहीं है, यह धर्म, न्याय, करुणा और मर्यादा की जीवंत प्रेरणा है। इस दिन श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।
आप भी इस राम नवमी पर प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त करें
और अपने परिवार के साथ यह पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति से मनाएं।
जय श्री राम!