
500 वर्षों का इंतज़ार खत्म हुआ आज रामलला पधार रहे है अयोध्या (Ayodhya)धाम जन जन के मुख पर है बस एक ही नाम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम….
तारीख है 22 जनवरी 2024 ये वो तारीख है जिसे आज पूरे विश्व में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा । अवसर है अयोध्याधाम में प्रभु के प्राण प्रतिष्ठा की जिसे आज पूरा विश्व बड़े ही धूमधाम से मना रहा है । अयोध्या के इस भव्य राम मंदिर में आज प्रभु श्री के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बड़े ही जोरो शोरो से शुरू हो रहा है । इस कार्यक्रम में देश विदेश से तमाम बड़ी हस्तियां शिरकत कर रही है । नेता हो , अभिनेता हो, खिलाड़ी हो आचार्य हो इन सभी की मौजूदगी आज अयोध्या धाम में हो रही हैं।
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 05 मिनट से शुरू होगा जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूजा अर्चना किया जाएगा । जिस तरह भगवान राम अपने वनवास से अयोध्या लौटे थे और उनका भव्य स्वागत यहां के प्रजा द्वारा की गई थी ठीक वैसी ही या उससे भी ज्यादा भव्य आज के कलयुग में पूरे देश की जनता पूरी अयोध्या प्रभु श्री राम के वापस लौटने और 500 वर्षों के वनवास के बाद अपने गर्भ गृह में स्थापित होने के उपलक्ष में सभी झूम रहे है , खुशियां मना रहे है
आज पूरा देश दिवाली की तरह इस प्राण प्रतिष्ठा को मना रहा है । देश का युवा हो, बच्चे हो, बुजुर्ग हो महिला हो आज हर किसी के दिल में हर किसी की जुबान पर बस एक ही नाम है और वो है जय श्री राम जय श्री राम।
अयोध्या (Ayodhya) – एक बार फिर बनी विश्व की आध्यात्मिक राजधानी
जय श्रीराम!” – यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है। 22 जनवरी 2024 की तारीख इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई है। यह दिन उस 500 वर्षों के संघर्ष, आशा, तप, तपस्या और बलिदान का फल है, जिसका सपना करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों ने देखा था।
अयोध्या नगरी, जिसे श्रीराम की जन्मभूमि कहा जाता है, आज उसी प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के समारोह का साक्षी बन रही है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का पर्व बन चुका है।
22 जनवरी को अयोध्या (Ayodhya) सिर्फ एक शहर नहीं रह गया,
वह एक भावना बन गया। वर्षों से प्रतीक्षित राम मंदिर का यह शुभ अवसर पूरे भारतवर्ष ही नहीं,
बल्कि विश्वभर में बसे राम भक्तों के लिए आस्था का महापर्व बन गया।
अयोध्याधाम को फूलों, दीपों, रंगोलियों और भगवा झंडों से सजाया गया है। ऐसा लगता है जैसे त्रेता युग की दिवाली फिर से लौट आई हो। हजारों साधु-संत, वैदिक आचार्य, विद्वान, संत समाज, धार्मिक नेता, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी, राजनीतिज्ञ और आम जनता – सबकी आंखों में एक ही आस्था की चमक है – “श्रीराम हमारे हृदय में हैं और अब उनके घर लौटने का समय आ गया है।”
प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त और विशेष आयोजन
प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:05 बजे निर्धारित किया गया था।
यह एक अत्यंत पवित्र और शुभ समय माना गया,
जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विधिवत पूजा-अर्चना करके रामलला को गर्भगृह में स्थापित किया।
पूरे आयोजन की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार, हवन, जलाभिषेक और 121 ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक वेदपाठ से हुई।
यह दृश्य किसी राजसूय यज्ञ या अश्वमेध यज्ञ की याद दिला रहा था।
प्रधानमंत्री की आंखों में भी भावुकता थी,
मानो वे केवल राष्ट्राध्यक्ष नहीं, बल्कि एक सच्चे रामभक्त के रूप में यह दायित्व निभा रहे हों।
देश-विदेश से आए श्रद्धालु और अतिथि
इस ऐतिहासिक समारोह में देश-विदेश से बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल हुईं।
इनमें प्रमुख नेता, फिल्म और टीवी इंडस्ट्री से जुड़ी हस्तियां, क्रिकेटर, उद्योगपति और साधु-संत शामिल थे।
हर किसी ने एक ही स्वर में कहा — “यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का उत्सव है।”
भारत के प्रमुख राज्यपाल और मुख्यमंत्री,अमिताभ बच्चन, रणबीर-आलिया, कंगना रनौत जैसे कलाकार,सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी देशभर के शंकराचार्य, जगद्गुरु, महामंडलेश्वर
अयोध्या का हर कोना भक्तों से भरा था, लेकिन किसी को असुविधा नहीं थी
क्योंकि यह कार्यक्रम आस्था और अनुशासन का अद्भुत संगम था।
500 वर्षों का संघर्ष – आस्था की विजय
राम मंदिर का यह भव्य स्वरूप सिर्फ ईंट और पत्थरों से नहीं बना, इसमें अनगिनत बलिदानों, संघर्षों और तपस्या की नींव है।
1528 से लेकर 2024 तक हिंदू समाज ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे-
अयोध्या आंदोलन, कारसेवकों का बलिदान,1992 में विवादित ढांचे का गिराया जाना,2003 से 2019 तक लंबी कानूनी लड़ाई,2019 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,2020 में भूमि पूजन और मंदिर निर्माण की शुरुआत इन सभी घटनाओं ने मिलकर आज का दिन संभव बनाया है।
यह केवल मंदिर निर्माण नहीं, एक चेतना का पुनरुद्धार है।
राम मंदिर – केवल एक ढांचा नहीं, एक संकल्प
यह मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है।
पत्थर की नक्काशी, विस्तृत मंडप, गर्भगृह और भव्य शिखर – सब कुछ हमारी प्राचीन कला और आधुनिक तकनीक का मिलन है।
मंदिर की लंबाई: 360 फीट ,चौड़ाई: 235 फीट,ऊँचाई: 161 फीट ,कुल 392 स्तंभ गर्भगृह में प्रभु रामलला की मूर्ति, बाल स्वरूप मेंयह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
राम कोई राजनीति नहीं, राम नीति हैं। राम सत्ता नहीं, आत्मा हैं।
और आज के दिन यह सिद्ध हो गया है कि राम केवल एक धर्म के नहीं, बल्कि पूरे मानवता के मार्गदर्शक हैं।
22 जनवरी 2024 का यह दिन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी भारत की आत्मा को फिर से जागृत करने वाला दिन बन गया है।
आज जब अयोध्या (Ayodhya)में रामलला गर्भगृह में विराजमान हुए हैं,
तो यह केवल मूर्ति की स्थापना नहीं, हर भारतीय के हृदय में राम के पुनः स्थापित होने का प्रतीक है।
आज हर गली, हर गांव, हर शहर, हर दिल बस एक ही स्वर में गूंज रहा है –
“राम आए हैं, राम बस गए हैं… और अब राम युग शुरू हुआ है।”
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