Special Ops Season 2 Review-जबरदस्त वापसी के साथ लौटे हिम्मत सिंह, एक बार फिर के के मेनन ने जीता दिल

Special Ops Season 2 Poster featuring Kay Kay Menon

Special Ops Season 2 Review

रिलीज़ डेट: 18 जुलाई 2025
प्लेटफॉर्म: Disney+ Hotstar
एपिसोड: 7
क्रिएटर: नीरज पांडे

पांच साल के लंबे इंतजार के बाद Special Ops 2 दर्शकों के सामने हाज़िर हो गई है, और कहना गलत नहीं होगा कि यह इंतज़ार पूरी तरह से सफल साबित हुआ। क्रिएटर नीरज पांडे और डायरेक्टर शिवम नायर की यह सीरीज़ न सिर्फ़ अपने पहले सीज़न की गरिमा को बनाए रखती है, बल्कि उसे एक नया विस्तार भी देती है।

निर्देशक नीरज पांडे एक बार फिर से अपने चिर-परिचित अंदाज़ में लौटे हैं और इस बार Special Ops Season 2 के साथ। पांच साल के लंबे इंतज़ार के बाद, यह वेब सीरीज़ दर्शकों के लिए एक ऐसा अनुभव लेकर आई है जो सिर्फ एक जासूसी ड्रामा नहीं, बल्कि डिजिटल युग में बदलते खतरों को उजागर करने वाला दर्पण भी है।

के के मेनन- हिममत सिंह के किरदार में एक बार फिर दमदार वापसी

इस सीज़न की सबसे बड़ी ताकत है – के के मेनन की शानदार परफॉर्मेंस। हिममत सिंह अब सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक ब्रांड बन चुका है। के के मेनन की आंखों में जो ठहराव है, जो इंटेंसिटी है, वो दर्शक को एक सेकंड के लिए भी स्क्रीन से हटने नहीं देती। चाहे वह इंटेलिजेंस मीटिंग्स हों या एक्शन के सीन, उनका हर डायलॉग, हर हाव-भाव गहराई से प्रभावित करता है।

Special Ops 2 की कहानी का दायरा कहीं ज़्यादा बड़ा और गहरा है। अब खतरे पारंपरिक युद्ध से नहीं, बल्कि डिजिटल और साइबर हमलों से हैं –

यही इस सीज़न का मुख्य संदेश है।

स्टोरीलाइन-इंटेलिजेंस वर्ल्ड का नया चेहरा

शो की शुरुआत होती है देश के जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. पियूष भार्गव के अपहरण से, जो एक बैंकिंग और AI-आधारित साइबर सुरक्षा सिस्टम पर काम कर रहे होते हैं।

जैसे ही ये अपहरण होता है, देशभर की सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच जाती है—और यहीं से शुरू होती है हिम्मत सिंह और उनकी स्पेशल टीम की एक तेज़-तर्रार जांच।

जहां पहले सीज़न में हम आतंकवाद की एक क्लासिक थ्रिलर में थे, वहीं Season 2 हमें दिखाता है कि अब खतरों का चेहरा बदल गया है — डिजिटल जासूसी, साइबर वॉरफेयर और इंटेलिजेंस के अंदर चल रही राजनीति अब असली दुश्मन हैं।

सीरीज़ की स्क्रिप्ट tight है, जिसमें न कोई ज़्यादा खिंचाव है और न ही कोई फालतू सीन।

हर एपिसोड में एक नया मोड़ है जो दर्शकों को बांधे रखता है।

कहानी और थ्रिल: सिर्फ एक मिशन नहीं, ये एक साइबर चेतावनी है

सीज़न की कहानी सिर्फ एक अपहरण या आतंकवादी मिशन तक सीमित नहीं है। यहां दुश्मन कंप्यूटर स्क्रीन के पीछे छुपा है — जो भारत की बैंकिंग व्यवस्था, UPI नेटवर्क और व्यक्तिगत डेटा को निशाना बना रहा है।

कहानी में जिस तरह से बैंकिंग फ्रॉड, तकनीकी ब्लैकमेलिंग और डिजिटल हमला दिखाया गया है — वह आज की सच्चाई को दर्शाता है। यह एक जरूरी कहानी है, जो बताती है कि आने वाला समय किस तरह की जासूसी और खतरे लेकर आएगा।

डायरेक्शन, सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन वैल्यू

Special Ops Season 2 में नीरज पांडे और उनकी टीम ने फिर एक बार प्रूव किया कि वे थ्रिलर कहानी कहने के उस्ताद हैं। लोकेशंस से लेकर कैमरा मूवमेंट तक, सब कुछ cinematic excellence से भरा हुआ है।

हालांकि कुछ एक्शन सीन थोड़े underwhelming लग सकते हैं, लेकिन कहानी की पकड़ और किरदारों की intensity इस कमी को पूरी तरह ढक देती है।

नीरज पांडे और शिवम नायर की जोड़ी ने फिर साबित किया कि थ्रिलर कैसे बनाया जाता है। डायरेक्शन टाइट है — न कहीं ज़रूरत से ज़्यादा ड्रामा, न फालतू इमोशन।सिनेमैटोग्राफी शानदार है — इंटरनेशनल लोकेशन  को बेहतरीन तरीके से कैमरे में कैद किया गया है

म्यूज़िक और बैकग्राउंड स्कोर हर सीन को मजबूत बनाता है, खासकर सस्पेंस वाले दृश्यों में।

क्यों देखें Special Ops 2? और क्या खास है इस बार?

कहानी में बैंक फ्रॉड, डेटा लीक, साइबर ब्लैकमेल जैसे मुद्दे शामिल हैं—जो आज के दौर में बेहद प्रासंगिक हैं। सात एपिसोड्स की स्पीड इतनी जबरदस्त है कि हर 10-15 मिनट में एक नया खुलासा होता है।

थ्रिल और सस्पेंस इस कदर बुना गया है कि हर एपिसोड के अंत में आपको “अब क्या होगा?” वाला एहसास ज़रूर होता है।

अगर आप थ्रिलर पसंद करते हैं।अगर आपको इंटेलिजेंस आधारित कहानियों में रुचि है।

अगर आप अभिनय में गहराई ढूंढ़ते हैं।और सबसे बढ़कर — अगर आप के के मेनन को एक बार फिर अपने prime में देखना चाहते हैं।

अभिनय- जब हर किरदार अपने रोल को जिया, निभाया नहीं

Kay Kay Menon as Himmat Singh-के के मेनन इस बार भी अपने करिश्माई अभिनय से कहानी की रीढ़ बने रहते हैं। उनका संवाद, उनकी चुप्पी, उनकी आंखों की भाषा—हर फ्रेम में वह क्लास दिखाते हैं। “ये सब मुझे कल बताना” जैसी छोटी लाइन भी जब उनके मुंह से निकलती है, तो दिल को छू जाती है।

Karan Tacker as Farooq-करण ने इस सीज़न में खुद को पूरी तरह ट्रांसफॉर्म कर लिया है। अब वो सिर्फ एक एजेंट नहीं, बल्कि एक मजबूत इमोशनल कनेक्शन वाला किरदार लगते हैं।उनकी स्क्रीन प्रेजेंस में वो बात है जो बड़े पर्दे के हीरो में होती है।

एक्शन और इंटेंस मोमेंट्स में वह बिल्कुल भरोसेमंद नज़र आते हैं।

Tahir Raj Bhasin as Sudheer-एक अच्छा विलेन वही होता है जो सिर्फ डराए नहीं, सोचने पर मजबूर करे। सुधीर के किरदार में ताहिर राज भसीन ने वही किया है।उनकी चालाकी, उनका अंदाज़ और उनके रंगीन आउटफिट—सब कुछ मिलकर उन्हें एक स्टाइलिश और स्मार्ट विलेन बनाते हैं। वह खून-खराबा नहीं करते, लेकिन उनकी बातें और हरकतें ही काफी होती हैं माहौल को गंभीर बनाने के लिए।

Vinay Pathak as Abbas Sheikh-विनय पाठक इस बार भी दिल जीत लेते हैं। उनका किरदार थोड़ा ह्यूमर लाता है, लेकिन उसमें इंसानियत और समझदारी भी होती है।

हिम्मत के साथ उनकी बॉन्डिंग, छोटे-छोटे सीन में गहरी छाप छोड़ जाती है।

Prakash Raj-  प्रकाश राज एक ऐसे सिस्टम का चेहरा हैं जो अंदर से सड़ा हुआ है। उनका गुस्सा, बेबसी और राजनीति से भरा अभिनय रियल लगता है।
एक सीन में उनकी खामोशी ही इतनी भारी लगती है कि किसी डायलॉग की ज़रूरत नहीं होती।

ये सभी कलाकार छोटे-छोटे रोल में भी जान फूंकते हैं-

मुज़म्मिल इब्राहिम और सायामी खेर जैसे एजेंट्स एक्शन और इंटेलिजेंस दोनों में फिट बैठते हैं।

शिखा तलसानिया और अरिफ ज़कारिया ने भले ही ज्यादा स्क्रीन टाइम न पाया हो, लेकिन अपने हिस्से का काम बखूबी किया।

Kali Prasad Mukherjee (D.K. Banerjee) जैसे अनुभवी कलाकारों ने सीरीज़ को ज़मीन से जोड़कर रखा।

Ishtiyak Khan, Parmeet Sethi, Rajendra Chawla जैसे अनुभवी कलाकारों ने छोटे लेकिन असरदार रोल निभाकर कहानी को गहराई दी।

हर एक कलाकार ने इतनी परिपक्वता और ईमानदारी से अपना किरदार निभाया है कि कोई भी निराश नहीं करता।

Final Rating (मन की बात)-

अभिनय: 5/5

कहानी और लेखन: 4.5/5

टेक्निकल (डायरेक्शन, फिल्मांकन): 4.5/5

प्लॉट ग्रिप और थ्रिल: 4.5/5

कुल: ⭐⭐⭐⭐½ (4.5/5)

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