भारत के कॉरपोरेट इतिहास में विजय माल्या एक ऐसा नाम है, जो कभी लग्ज़री और ग्लैमर का पर्याय हुआ करता था, लेकिन अचानक ही विवादों का चेहरा बन गया। नौ साल की खामोशी तोड़ते हुए, उन्होंने पहली बार किसी मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुलकर बात की —
और वो भी किसी पत्रकार से नहीं, बल्कि यंग एंटरप्रेन्योर और पॉडकास्टर राज शमानी से।
इस पॉडकास्ट ने न केवल यूट्यूब पर रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि देशभर में एक नई बहस छेड़ दी: क्या विजय माल्या ‘भगोड़ा’ हैं, या एक बिजनेस फेलियर का राजनीतिक शिकार?
राज शमानी और विजय माल्या: असामान्य लेकिन शक्तिशाली संवाद
राज शमानी की पॉडकास्ट सीरीज़ Figuring Out का उद्देश्य होता है उन लोगों से बात करना, जिन्होंने ज़िंदगी में कुछ हटकर किया है —
चाहे अच्छे अर्थों में हो या विवादास्पद।
विजय माल्या का चार घंटे लंबा इंटरव्यू इस सीरीज़ का सबसे चर्चित एपिसोड बन गया। कारण सिर्फ़ इतना नहीं था कि माल्या ने 9 साल बाद बात की, बल्कि ये था कि उन्होंने कई बड़े खुलासे किए और अपनी कहानी पहली बार अपनी ज़ुबानी सुनाई।
इंटरव्यू में उठे प्रमुख मुद्दे
मैं चोर नहीं, केवल एक बैंकरप्ट बिजनेसमैन हूं”
माल्या ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने यह दावा किया कि बैंकों का जो ₹6,200 करोड़ का मूल कर्ज था, उसमें से बहुत बड़ी राशि वापस चुका दी गई है —
कुल मिलाकर ₹14,000 करोड़ वसूल हो चुके हैं (संपत्ति ज़ब्ती सहित)।
उन्होंने मीडिया द्वारा उन्हें “चोर” कहे जाने पर नाराजगी जताई और पूछा:
“अगर कर्ज चुका दिया गया है, तो मैं चोर कैसे हुआ?”
भारत छोड़ना: भागना या प्लान्ड ट्रैवल?
उनके अनुसार, 2016 में जब उन्होंने भारत छोड़ा, वह एक प्री-प्लान्ड बिजनेस ट्रिप पर थे। उन्होंने कहा कि उनके पास वैध टिकट, पासपोर्ट और क्लियर इमीग्रेशन था — कोई रेड कॉर्नर नोटिस नहीं था।
उनका यह कहना कि “मैं चुपचाप नहीं भागा, बल्कि मेरी फ्लाइट पहले से तय थी,” इस पूरे नैरेटिव को ही चैलेंज करता है जो अब तक भारत में चला है।
Ease of Doing Business’ एक भ्रम है?
विजय माल्या ने भारतीय बिजनेस सिस्टम की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा:
“कोई फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता में कौन है, सिस्टम वही है। फॉर्मल नियम इतने जटिल हैं कि कोई भी सफल नहीं हो सकता।”
उन्होंने बताया कि उन्हें बिजनेस चलाने के लिए 29 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ‘रिलेशन’ मेंटेन करने पड़ते थे, ताकि एयरलाइंस के लिए परमिशन मिल सके।
यह बयान भारत में सरकारी अफसरशाही पर बड़ा सवाल उठाता है।
भारत वापसी पर क्या बोले माल्या?
इंटरव्यू का सबसे अहम हिस्सा तब आया जब शमानी ने पूछा: “क्या आप भारत लौटना चाहेंगे?”
इस पर माल्या ने कहा:
“अगर मुझे निष्पक्ष सुनवाई और इज़्ज़त के साथ रहने का आश्वासन मिलता है, तो मैं ज़रूर आऊंगा।”
उन्होंने ब्रिटिश अदालत के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि भारत की जेलें “मानवाधिकार उल्लंघन” के दायरे में आती हैं।
अकेलापन और वर्तमान जीवन
उन्होंने बताया कि वे अब लंदन में शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं, लेकिन जो मानसिक तनाव और अकेलापन उन्होंने झेला है, वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
वे कहते हैं कि एक समय ऐसा आया जब उन्हें लगने लगा कि सब कुछ खत्म हो गया है — न बिजनेस बचा, न इज्जत।
लेकिन फिर उन्होंने खुद को समेटा, और अब वे एक तरह की ‘self-retired’ जिंदगी जी रहे हैं।
विजय माल्या और राज शमानी के पॉडकास्ट के वायरल होने के कारण
विषय की अनोखापन – विजय माल्या 9 साल बाद बोले।
प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता – राज शमानी की नई जनरेशन में पहचान।
मल्टी-लेवल डिस्कशन – राजनीति, बिजनेस, मीडिया ट्रायल, निजी जीवन।
फैशन और शानो-शौकत – ₹40 लाख की घड़ी से लेकर स्पॉटलाइट में लंदन हाउस।
ऑनलाइन प्रतिक्रिया: जनता ने क्या कहा?
X (Twitter): “विजय माल्या के तर्क सुनने के बाद कई लोगों का नजरिया बदल रहा है।”
Reddit: “क्या ये इमेज क्लीन करने का PR है या सचमुच दूसरी तरफ की कहानी?”
YouTube Comments: 2M+ views और हज़ारों भावनात्मक प्रतिक्रियाएं।
क्या यह इंटरव्यू भारत में पॉडकास्टिंग का टर्निंग पॉइंट है?
बिलकुल। राज शमानी का यह इंटरव्यू भारत में डिजिटल मीडिया और पॉडकास्टिंग की ताकत को दर्शाता है। जब मुख्यधारा मीडिया ट्रायल पर लगा हो, तब पॉडकास्ट एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन रहा है, जहां लोग अपनी बात बिना कटे-छंटे कह सकते हैं।
क्या ये नया विजय माल्या है?
यह पॉडकास्ट एक तरह से विजय माल्या की ‘छवि सुधार’ प्रक्रिया का हिस्सा लगता है। लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है —
क्या हम एक बिजनेसमैन की कहानी को सिर्फ एक फ्रॉड के चश्मे से देख रहे हैं?
या फिर हमें दोनों पक्षों को सुनकर निष्कर्ष निकालना चाहिए?
(FAQs)-विजय माल्या और राज शमानी के पॉडकास्ट
1. विजय माल्या और राज शमानी के पॉडकास्ट की इतनी चर्चा क्यों हो रही है?
यह इंटरव्यू खास इसलिए रहा क्योंकि विजय माल्या ने 9 साल बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने ऊपर लगे आरोपों और भारत छोड़ने के पीछे की वजहों पर खुलकर बात की।
उन्होंने बैंक लोन, बिजनेस फेलियर, मीडिया ट्रायल और भारत लौटने की संभावनाओं जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना पक्ष रखा।
2. पॉडकास्ट वायरल क्यों हुआ?
पहली बार बोले विजय माल्या
प्लेटफॉर्म पर राज शमानी की लोकप्रियता
बिना कटौती के लंबा इंटरव्यू (लगभग 4 घंटे)
कई विवादास्पद बयान और खुलासे
3. क्या विजय माल्या ने माना कि वे भगोड़े हैं?
माल्या ने तकनीकी रूप से खुद को “फरार” माना, लेकिन उन्होंने यह साफ कहा कि वे “चोर नहीं हैं”। उनका दावा है कि बैंकों का बहुत सारा पैसा उन्होंने या सरकार ने उनकी संपत्तियां जब्त कर चुका दिया है — कुल ₹14,000 करोड़ से ज्यादा।
4. किंगफिशर एयरलाइंस के डूबने की असली वजह क्या थी?
उन्होंने बताया कि 2008 की वैश्विक मंदी और भारत की बिजनेस व्यवस्था की जटिलता इसकी मुख्य वजहें थीं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपनी पूंजी लगाई थी और फिर भी एयरलाइन नहीं बच पाई।
5. भारत छोड़ने के बारे में उन्होंने क्या कहा?
विजय माल्या का दावा है कि उन्होंने किसी तरह की चोरी-छुपे भागने की कोशिश नहीं की। वे एक तय बिजनेस ट्रिप पर निकले थे,
और उनके पास वैध टिकट, पासपोर्ट और इमिग्रेशन क्लीयरेंस था।
6. ‘Ease of Doing Business’ पर उनकी राय क्या है?
उन्होंने कहा कि भारत में यह सिर्फ एक “मिथक” है। उन्हें बिजनेस चलाने के लिए 29 राज्यों के नेताओं से संपर्क बनाकर रखना पड़ता था। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी कोई भी हो, सिस्टम वही रहता है — भ्रष्टाचार और लालफीताशाही।
7. क्या विजय माल्या भारत लौटना चाहते हैं?
हाँ, लेकिन एक शर्त पर — उन्हें निष्पक्ष सुनवाई और गरिमा के साथ रहने की गारंटी चाहिए। उन्होंने ब्रिटिश अदालत के उस बयान का हवाला दिया जिसमें भारत की जेलों को मानवाधिकार उल्लंघन से जोड़ कर देखा गया था।
8. लोगों और मीडिया की प्रतिक्रिया क्या रही?
सोशल मीडिया पर भारी ट्रेंड
मीडिया हेडलाइंस में जगह
पॉडकास्ट में पहनी गई ₹40 लाख की घड़ी भी चर्चा में रही
कई लोगों ने इसे एक सशक्त ‘पब्लिक रिलेशन’ प्रयास बताया
9. क्या यह इंटरव्यू भारत में पॉडकास्टिंग के लिए टर्निंग पॉइंट है?
हां। इस पॉडकास्ट ने यह दिखाया कि अब लोग मीडिया से हटकर डिजिटल और अनएडिटेड प्लेटफॉर्म्स को अधिक गंभीरता से लेने लगे हैं।
यह इंटरव्यू सिर्फ एक बातचीत नहीं, बल्कि नैरेटिव बदलने का प्रयास था।
10. क्या हमें विजय माल्या की बातों पर भरोसा करना चाहिए?
ये हर व्यक्ति की सोच और तथ्यों को देखने के नजरिए पर निर्भर करता है।
यह इंटरव्यू उनकी कहानी का पक्ष है, जो लंबे समय से दबा हुआ था।
सुनना जरूरी है, लेकिन निर्णय सोच-समझकर और तथ्यों की जांच के बाद लेना चाहिए।
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