श्रावण (Shravan) or सावन (Sawan) क्यों मनाया जाता है?

Why We Celebrate Shravan I the Importance of Shravan Somvar

श्रावण (Shravan)क्यों मनाया जाता है?

श्रावण(Shravan), जिसे सावन (Sawan) भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का पाँचवाँ महीना होता है। यह जुलाई और अगस्त के बीच आता है और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में इसे अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह महीना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।

श्रावण मास के दौरान मानसून अपने पूरे प्रभाव में होता है। यह सिर्फ वर्षा ऋतु नहीं होती, बल्कि धरती के पुनर्जीवन, हरियाली और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। जब तपती गर्मी के बाद पहली बारिश की बूँदें ज़मीन को छूती हैं, तो लगता है जैसे धरती फिर से जीवंत हो उठी हो — खेतों में हरियाली लहराती है, पेड़ों पर नई कोपलें आती हैं, नदियाँ और तालाब भर जाते हैं और जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

मानसून और प्रकृति का उत्सव

प्रकृति की यह सुंदरता, भक्तों को ईश्वर की रचना की महिमा और रहस्य का अनुभव कराती है। इसी वजह से श्रावण को आत्म-शुद्धि, भक्ति और संयम का समय माना जाता है। इस पूरे महीने में श्रद्धालु उपवास, मंदिर दर्शन, और शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पण करते हैं। अनेक भक्त हर सोमवार को श्रावण सोमवार व्रत करते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। श्रावण का महीना बारिश के मौसम के साथ आता है। जब धरती पर हरियाली छा जाती है, नदियाँ भर जाती हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है। यह समय धरती की उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। किसान खुश होते हैं क्योंकि फसलें अच्छे से पनपती हैं। इस मौसम को नवचेतना और विकास का प्रतीक माना जाता है।

श्रावण में केवल भगवान शिव की पूजा ही नहीं होती, बल्कि रक्षा बंधन, नाग पंचमी और जन्माष्टमी जैसे अनेक धार्मिक पर्व भी इसी महीने आते हैं। ये पर्व श्रावण को एक ऐसा मास बनाते हैं जो आध्यात्मिक साधना और सांस्कृतिक उत्सव दोनों का संगम है। श्रावण सोमवार यानी श्रावण महीने के हर सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार भगवान शिव को समर्पित दिन माना गया है और श्रावण में इसका विशेष प्रभाव होता है।

श्रावण(Shravan)का महीना एक ऐसा समय होता है जब हम अपने जीवन को आध्यात्मिकता, अनुशासन और समर्पण से भर सकते हैं। श्रावण सोमवार का व्रत और शिव तत्व का अध्ययन हमें एक संतुलित, शांत और सशक्त जीवन की ओर ले जाते हैं। यह महीना हमें प्रकृति के साथ जुड़ने, आत्मा की शुद्धि और ईश्वर की भक्ति के लिए प्रेरित करता है।

श्रावण में धार्मिक क्रियाएँ, त्योहारों की भरमार

(Shravan)श्रावण के महीने में भक्तगण व्रत, पूजा, भजन-कीर्तन और मंदिर दर्शन जैसे धार्मिक कार्यों में लीन रहते हैं। माना जाता है कि इन धार्मिक क्रियाओं से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है और ईश्वर से जुड़ाव गहरा होता है। बहुत से लोग इस महीने में मांसाहार, नशे और अन्य बुरे कार्यों से दूर रहते हैं।

श्रावण का महीना त्योहारों से भरपूर होता है। रक्षाबंधन, नाग पंचमी, जन्माष्टमी जैसे प्रमुख त्योहार इसी महीने में आते हैं। इसलिए यह महीना उत्सव और खुशियों का प्रतीक बन जाता है। परिवार, समाज और धर्म के बीच सामंजस्य इस महीने में बहुत गहराता है।

श्रावण (Shravan)सोमवार व्रत और पूजा का महत्व और आध्यात्मिक लाभ

(Shravan)श्रावण सोमवार यानी श्रावण महीने के हर सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार भगवान शिव को समर्पित दिन माना गया है और श्रावण में इसका विशेष प्रभाव होता है। श्रावण के हर सोमवार को भक्त भगवान शिव का व्रत रखते हैं। यह व्रत विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति, मानसिक शांति और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए रखा जाता है। शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, शहद आदि चढ़ाकर पूजा की जाती है।

व्रत रखने से न केवल शरीर की शुद्धि होती है, बल्कि आत्मा भी शांत और केंद्रित होती है। इससे भक्त भगवान शिव के और करीब आ जाते हैं और उन्हें एक विशेष आत्मिक अनुभव होता है।

शिव और पार्वती की कथा और शिव तत्व को समझना

पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण (Shravan)वही महीना है जब माता पार्वती ने घोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए श्रावण और खासकर उसके सोमवार, शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक माने जाते हैं। यह प्रेम, समर्पण और तप का प्रतीक है।

‘शिव तत्व’ का मतलब भगवान शिव के उस गूढ़ सिद्धांत से है, जो सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं बल्कि गहरे दर्शन और आत्मिक ज्ञान को दर्शाता है।

भगवान शिव जीवन-मृत्यु, सृजन-विनाश, नर-नारी शक्ति जैसे सभी विरोधाभासी तत्वों का संतुलन हैं। वे हमें सिखाते हैं कि जीवन में हर चीज का संतुलन जरूरी है — यही ब्रह्मांड का नियम है।भगवान शिव भक्तों के प्रति अत्यंत करुणामयी हैं लेकिन साथ ही वे संसारिक चीजों से पूरी तरह विरक्त भी हैं। यह हमें सिखाता है कि जीवन में करुणावान बनो लेकिन मोह-माया से मुक्त रहो।

 

श्रावण (Shravan)मास से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

 1. श्रावण (Shravan)मास क्या है और इसका महत्व क्या है?

श्रावण या सावन हिंदू पंचांग का पाँचवाँ महीना है, जो जुलाई-अगस्त में आता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे आध्यात्मिक जागरूकता, भक्ति, व्रत और प्रकृति की सुंदरता का महीना माना जाता है।

 2. श्रावण(Shravan) में भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है?

मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। साथ ही, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने इसी समय पिया था, जिससे उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यह महीना सबसे उत्तम माना जाता है।

3. श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) व्रत का क्या महत्व है?

श्रावण सोमवार को व्रत रखने से भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।

यह व्रत मानसिक शांति, मनोकामना पूर्ति और बाधा मुक्ति के लिए किया जाता है।

विशेष रूप से कन्याएँ इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं।

4. श्रावण में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार आते हैं?

श्रावण मास में निम्नलिखित त्योहार आते हैं:

  • नाग पंचमी
  • रक्षा बंधन
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
  • हरियाली तीज
  • श्रावण सोमवार व्रत श्रृंखला

 5. क्या सावन में कुछ चीजें खाने-पीने से परहेज करना चाहिए?

हाँ, सावन में मांसाहार, शराब, प्याज, लहसुन और अधिक तली-भुनी चीज़ों से बचना चाहिए।

सात्विक भोजन और जल का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है।

 6. श्रावण में जलाभिषेक का क्या महत्व है?

श्रावण में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही आदि चढ़ाकर अभिषेक करने से पापों का नाश होता है और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है।

 7. श्रावण मास में विशेष मंत्र क्या जपें?

श्रावण में विशेष रूप से निम्न मंत्रों का जाप करना फलदायी माना गया है:

“ॐ नमः शिवाय”

“महामृत्युंजय मंत्र”

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”

8. श्रावण मास का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

मानसून के दौरान उपवास और हल्का भोजन शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है।

साथ ही, बारिश के कारण संक्रमण की संभावना अधिक रहती है,

जिससे संयम और सात्विकता अपनाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

 9. क्या महिलाएँ भी श्रावण सोमवार का व्रत रख सकती हैं?

हाँ, महिलाएँ विशेष रूप से यह व्रत रखती हैं। अविवाहित कन्याएँ अच्छे जीवनसाथी की कामना से,

जबकि विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती हैं।

10. श्रावण मास में कौन-से शुभ कार्य करने चाहिए?

शिवजी की पूजा एवं जलाभिषेक, उपवास एवं ध्यान, जरूरतमंदों को दान देना, शिव मंत्रों का जाप, सत्संग, शिव पुराण पाठ

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